पिछले एक दशक में भारत में एक ऐसा बदलाव देखने को मिला है, जिसने वैश्विक स्तर पर भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। एक विकासशील देश से लेकर भारत आज रक्षा, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सीमाओं को आगे बढ़ाने वाला एक शक्तिशाली देश बन गया है। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी पहलों के ज़रिए आत्मनिर्भरता, नवाचार और तकनीकी उन्नति पर मोदी सरकार के लगातार फोकस ने देश को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और क्षमताओं के क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया है। स्वदेशी शोध की संस्कृति को बढ़ावा देने, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मज़बूत करने और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में रणनीतिक निवेश को प्राथमिकता देने से, भारत अब वैश्विक क्षेत्र में महज़ भागीदार नहीं, बल्कि एक अग्रणी देश बन चुका है।
यह सिर्फ तकनीकी उपलब्धियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह महत्वाकांक्षा, वैश्विक मान्यता और विश्वगुरु बनने की दिशा में भारत की निरंतर आगे बढ़ने वाली शानदार प्रगति की कहानी है।
रक्षा क्षेत्र में सफलता: भारत का भविष्य सुरक्षित करना
भारत के रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जिसमें देश अत्याधुनिक तकनीकों के ज़रिए विश्व की महाशक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले कुलीन क्लबों में शामिल हो गया है। डीआरडीओ द्वारा संचालित और मोदी सरकार के आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने से समर्थित, ये अहम पड़ाव आधुनिक युद्ध की स्थिति के लिए भारत की तैयारी को दर्शाते हैं।
* हाल ही में भारत ने ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए लेज़र आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जो फिक्स्ड-विंग और स्वार्म ड्रोन को निष्क्रिय करने में सक्षम है। इसके साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ केवल चार देशों के उस समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसी उन्नत क्षमता है।
* इसके अलावा 2025 में भारत, हाइपरसोनिक मिसाइलों के लिए एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट का परीक्षण करने वाले देशों के समूह में शामिल हो गया है। भारत में पहली बार डीआरडीएल और भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन का स्वदेशी विकास, इस कामयाबी की मुख्य वजह है।
* एक बेहद अहम घटनाक्रम में डीआरडीओ ने नवंबर 2024 में देश की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया, जो पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियारों को 100 किलोमीटर से अधिक दूरी तक ले जाने में सक्षम है। लंबी दूरी की यह मिसाइल चालन योग्य है और ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति से उड़ती है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है और इस महत्वपूर्ण उपलब्धि ने भारत को ऐसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है, जिनके पास ऐसी महत्वपूर्ण और उन्नत सैन्य तकनीकों की क्षमता है।
* 2024 में, भारत मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक वाले देशों के कुलीन क्लब में शामिल हो गया। एमआईआरवी तकनीक के साथ अग्नि-V का सफल परीक्षण, भारत की एक ही मिसाइल पर कई परमाणु वारहेड तैनात करने की क्षमता और शक्ति को बढ़ाता है, जो अलग-अलग लक्ष्यों पर हमला करता है।
* 2023 में, भारत ने समुद्र-आधारित एंडो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्टर मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण किया। इस परीक्षण का मकसद, शत्रुतापूर्ण बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को भांपते हुए उसे निशाने पर लेना और उसे बेअसर करना था, जिससे देश नौसेना बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी) क्षमता वाले देशों के कुलीन क्लब में शामिल हो गया।
* 2023 में भारत स्वदेशी मानवरहित एरियल व्हीकल के सफल उड़ान परीक्षण के साथ चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है। इस स्वायत्त स्टील्थ यूएवी का सफल उड़ान प्रदर्शन, देश में प्रौद्योगिकी के स्तर में परिपक्वता का प्रमाण है।
* 2019 में, मिशन शक्ति के ज़रिए, भारत ने एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसने पृथ्वी की निचली कक्षा में एक जीवित उपग्रह को नष्ट कर दिया। इस उपलब्धि ने भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ उन कुछ चुनिंदा देशों में से एक बना दिया, जिनके पास एएसएटी क्षमताएं हैं। यह रणनीतिक उपलब्धि साबित करती है कि भारत के पास, तेजी से बदलते क्षेत्र में, अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों को सुरक्षित रखने की काबिलियत है।
अंतरिक्ष में भारत की शानदार उड़ान: भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएँ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेतृत्व में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने, रिकॉर्ड-तोड़ मिशनों और अग्रणी तकनीकों से दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया है। मोदी सरकार में बढ़े हुए वित्तीय समर्थन और सुधारों ने भारत को अंतरिक्ष में जाने वाले देशों की शीर्ष श्रेणी में पहुंचा दिया है।
* हाल ही में, भारत इसरो के स्पैडेक्स मिशन की बदौलत, उपग्रह डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करने वाले चार देशों के विशिष्ट समूह में सफलतापूर्वक शामिल हो गया है। 120 से अधिक सिमुलेशन के बाद पहली कोशिश में ही अनडॉकिंग प्रक्रिया सफल हो गई, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की उन्नत तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन देखने को मिला।
* 2023 में, इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनकर इतिहास रच दिया। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया है, जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका। इससे भारत, इतिहास में संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया।
* 2022 में भारत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण क्षमता वाला दुनिया का छठा देश बन गया। भारत ने अपनी अत्यधिक महत्वाकांक्षी एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन विनिर्माण सुविधा (आईसीएमएफ) का उद्घाटन किया, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए, एक ही छत के नीचे संपूर्ण रॉकेट निर्माण और असेंबली की सुविधा प्रदान करेगी।
* 2017 में, भारत एक ही मिशन में सौ से ज़्यादा उपग्रहों को लॉन्च करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसरो अपने अनोखे अंतरिक्ष मिशनों के ज़रिए, विकसित दुनिया को लगातार चौंकाता रहा है, जिसकी वजह से इसने अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले देशों के बीच एक अलग मुकाम हासिल किया है। देश के सबसे बड़े विमान पीएसएलवी ने अपनी 39वीं उड़ान (पीएसएलवी-सी37) में, नीले आसमान में शानदार उड़ान भरी और 104 उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित करके एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।