देहरादून, 08अप्रैल 2025 | विशेष संवाददाता:
राजधानी देहरादून स्थित केंद्रीय सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य सेवा योजना — सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) — इन दिनों घोर अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक उपेक्षा की शिकार है। इस योजना के अंतर्गत आने वाले 66,000 से अधिक पेंशनर्स, वरिष्ठ नागरिक और उनके परिजन आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलने को विवश हैं।
इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए दून केंद्रीय पेंशनर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा एवं CGHS के शीर्ष अधिकारियों को एक विस्तृत ज्ञापन भेजते हुए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
मानकों के विरुद्ध सेवाएं — 66,000 लाभार्थियों पर केवल 3 वेलनेस सेंटर और 12 डॉक्टर
ज्ञापन में उल्लेख है कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार CGHS के अंतर्गत प्रति 6000 लाभार्थियों पर एक वेलनेस सेंटर और चार एलोपैथी चिकित्सक होने चाहिए। इस अनुपात के अनुसार देहरादून में 66,000 लाभार्थियों के लिए कम से कम 11 वेलनेस सेंटर और 44 एलोपैथी डॉक्टर तैनात होने चाहिए थे। परंतु वर्तमान में यहां मात्र 3 वेलनेस सेंटर और 12 डॉक्टर कार्यरत हैं।
स्थिति और भी चिंताजनक तब हो गई जब विगत माह वरिष्ठ डॉक्टर जानकी जंगपाँगी (28 फरवरी) और डॉ. बचन सिंह (31 जनवरी) सेवानिवृत्त हो गए तथा डॉ. जतिन शर्मा को प्रशिक्षण हेतु भारमुक्त कर दिया गया। इससे उपलब्ध चिकित्सकों की संख्या और घट गई है।
इलाज लगभग ठप, मरीजों को सुबह 5 बजे से लगानी पड़ती है लाइन
डॉक्टरों की इस भारी कमी के चलते CGHS केंद्रों पर इलाज की प्रक्रिया लगभग ठप हो चुकी है। देहरादून ही नहीं, बल्कि दूरदराज के पहाड़ी व मैदानी जनपदों से आने वाले 35 से 40 प्रतिशत मरीजों को घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद बिना इलाज और दवाइयों के लौटना पड़ रहा है।
गर्मियों, बारिश और कड़ाके की ठंड में बुजुर्गों को सुबह 5 बजे से कतार में खड़ा रहना पड़ता है। एक ही डॉक्टर के पास 150 से 250 मरीजों की भीड़ लगती है, जो कि चिकित्सा मानकों के विपरीत है और इससे न केवल सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि डॉक्टरों और मरीजों दोनों पर मानसिक दबाव भी बढ़ता है।
प्रशासनिक कुप्रबंधन और ALC की निष्क्रियता
एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि पिछले तीन वर्षों से अधिकृत स्थानीय केमिस्ट (ALC) की नियुक्ति नहीं की गई है। वर्तमान में केवल तीन डॉक्टरों को इंडेंट की दवाइयां लिखने हेतु तैनात किया गया है, जिससे मरीजों की चिकित्सा और परामर्श में भारी कमी बनी हुई है।
कई बार उठाया गया मुद्दा, प्रशासन बना मूकदर्शक
एसोसिएशन के महासचिव श्री सुरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि यह मुद्दा कई बार स्थानीय अधिकारियों, निदेशकों एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के समक्ष उठाया गया। पत्राचार, व्यक्तिगत बैठकें और स्मरण पत्रों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
आखिरकार, विवश होकर एसोसिएशन ने यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय के जन शिकायत पोर्टल (PMOPG), CPGRAMS पोर्टल सहित ईमेल और डाक माध्यमों से संबंधित उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया है।
“स्वस्थ जीवन-स्वस्थ राष्ट्र” की भावना को ठेस, मानवाधिकारों का उल्लंघन
ज्ञापन में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि CGHS सेवाओं से वंचित होना पेंशनर्स और उनके परिजनों के मूलभूत मानवाधिकारों और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।
यह स्थिति प्रधानमंत्री जी की “स्वस्थ जीवन, स्वस्थ राष्ट्र” की परिकल्पना को भी आघात पहुँचाती है। सेवा-निवृत्त सरकारी कर्मियों एवं वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा देश के प्रशासनिक और नैतिक मूल्यों के सर्वथा विपरीत है।
एसोसिएशन की प्रमुख माँगें:
तत्काल चिकित्सकों की बहाली और नई नियुक्तियाँ की जाएं।
दवा वितरण प्रणाली को व्यवस्थित व पारदर्शी बनाया जाए।
CGHS केंद्रों का स्थायी विस्तार किया जाए और तकनीकी ढाँचे में सुधार हो।
चेतावनी : समाधान नहीं मिला तो होगा आंदोलन
एसोसिएशन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस बार भी इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती, तो देहरादून सहित पूरे उत्तराखंड में CGHS लाभार्थी सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन और आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
यँहा देखें ज्ञापन