देहरादून ,27मार्च 2025(हमारी चौपाल ) वी. मुरूगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, उत्तराखण्ड द्वारा एसटीएफ उत्तराखण्ड तथा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, देहरादून और पंतनगर में लम्बित अभियोगों की समीक्षा की गई। इस समीक्षा के दौरान विवेचनाओं में तेजी लाने, अभियुक्तों के विरुद्ध सख्त वैधानिक कार्यवाही करने तथा पीड़ितों की धनराशि रिकवरी पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए।
समीक्षा गोष्ठी में यह बताया गया कि पिछले समय में डिजीटल अरेस्ट से संबंधित कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं। समय पर सूचनाओं का पालन करते हुए, चार प्रमुख घटनाओं में संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज कराकर लगभग 2 करोड़ 30 लाख रुपए पीड़ितों को वापस किए गए हैं। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर आम नागरिकों को धौंस में रखकर इन साइबर अपराधों को अंजाम दिया गया है। इसी तरह, शेयर ट्रेडिंग जैसे फर्जी अवसरों के माध्यम से लोगों को अधिक लाभ का लालच देकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर धोखाधड़ी की गई, जिसमें संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज करके लगभग 51 लाख रुपए की रिकवरी की गई।
अपर पुलिस महानिदेशक ने डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग और अन्य फर्जी अवसरों के संबंध में आम जन को जागरूक करने हेतु वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, 1930 साइबर क्राइम हेल्पलाइन का प्रचार-प्रसार करने की दिशा में भी कार्रवाई की जाएगी।
गोष्ठी में लम्बित विवेचनाओं के संबंध में विवेचक और पर्यवेक्षण अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि साइबर धोखाधड़ी के मनी ट्रेल के आधार पर संदिग्ध बैंक खातों का पता लगाकर खाता धारकों के खिलाफ शीघ्र वैधानिक कार्रवाई करें। इसके लिए आवश्यकतानुसार पुलिस कस्टडी रिमाण्ड लेकर पीड़ितों की धनराशि की रिकवरी की जाए। साथ ही, CCTNS Cri-MAC, NATGRID, FENEX, JMIS, ICJS पोर्टलों से तकनीकी सहयोग प्राप्त कर अभियुक्तों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही की जाए। 1930 साइबर क्राइम हेल्पलाइन में प्राप्त शिकायतों पर भी त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
गोष्ठी में नीलेश आनन्द भरणे, पुलिस महानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, धीरेन्द्र गुंज्याल, पुलिस उप महानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, नवनीत भुल्लर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, स्वप्न किशोर सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ, अंकुश मिश्रा, पुलिस उपाधीक्षक, साइबर क्राइम सहित अन्य पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।