देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों में अवैध प्लॉटिंग का कारोबार तेजी से पैर पसार रहा है। खेत-खलिहानों और फलदार बागानों को नियमों के खिलाफ आवासीय प्लॉट में बदलकर खरीदी-बिक्री का खेल चल रहा है। जनपद के विभिन्न इलाकों में कॉलोनियों का नक्शा खींचकर अवैध रूप से प्लॉटिंग की जा रही है। प्रशासनिक अनदेखी और राजनीतिक संरक्षण के चलते यह कारोबार बेखौफ जारी है।
ताजा मामला: पैलियो नाथुवाला में अवैध प्लॉटिंग
हाल ही में पैलियो नाथुवाला क्षेत्र में कृषि भूमि पर अवैध प्लॉटिंग का मामला सामने आया है। स्थानीय लोगों में इसको लेकर गहरा आक्रोश है, लेकिन अवैध प्लॉटिंग करने वालों की ऊंची पहुंच के कारण वे खुलकर विरोध करने से हिचक रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ प्रॉपर्टी डीलर राज्य के प्रभावशाली राजनेताओं का नाम लेकर अधिकारियों और जनता को डराते हैं। अधिकारी भी इनके प्रभाव में आकर कोई कार्रवाई करने से कतराते हैं।
कैसे चल रहा है अवैध कारोबार?
कृषि भूमि खरीदने की चाल: पहले किसानों और बागवानों से कम दाम पर जमीन खरीदी जाती है। कुछ समय तक खेती-बागवानी के नाम पर उसे खाली रखा जाता है और फिर अवैध रूप से प्लॉटिंग करके प्लॉट बेचे जाते हैं।
प्राधिकरण की अनदेखी: एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) के बिना स्वीकृत लेआउट के ये प्लॉट बेचे जा रहे हैं।
लैंड यूज बदलाव की अनदेखी: आवासीय निर्माण के लिए लैंड यूज परिवर्तन आवश्यक है। लेकिन अधिकांश मामलों में यह नियम भी दरकिनार किया जा रहा है।
उत्तराखंड में भूमि खरीद-फरोख्त के नियम
उत्तराखंड सरकार द्वारा भूमि खरीद-फरोख्त के लिए कई नियम बनाए गए हैं:
1. कृषि भूमि का सीमित उपयोग: कृषि भूमि पर आवासीय या व्यावसायिक निर्माण करने के लिए संबंधित प्राधिकरण से स्वीकृति लेना अनिवार्य है।
2. भूमि खरीद का उद्देश्य स्पष्ट करें: जमीन खरीदते समय यह स्पष्ट करना जरूरी है कि उसका उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाएगा। उद्देश्य स्पष्ट न होने पर जमीन नहीं खरीदी जा सकती।
3. एमडीडीए की स्वीकृति अनिवार्य: प्लॉटिंग के लिए एमडीडीए द्वारा पास किया गया लेआउट होना चाहिए।
4. अवैध प्लॉटिंग की सूची: एमडीडीए की वेबसाइट पर अवैध प्लॉटिंग की सूची उपलब्ध है, जिसे देखकर प्लॉट खरीदने वालों को सावधान रहना चाहिए।
देहरादून में कृषि भूमि का संकट
2041 तक के लिए तैयार किए गए देहरादून मास्टर प्लान में यह बताया गया है कि देहरादून घाटी कभी चावल और गन्ने की खेती के लिए मशहूर थी। शहर के अंदरूनी हिस्सों में आम और लीची की बागवानी हुआ करती थी। कुछ दशक पहले तक शहर में 40% भूमि कृषि के लिए आरक्षित थी, जो अब घटकर मात्र 10% रह गई है।
एमडीडीए का रुख और प्रशासन की चुप्पी
एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी का कहना है कि कृषि भूमि पर प्लॉटिंग पूरी तरह से अवैध है। इसके लिए लैंड यूज बदलाव और प्राधिकरण की स्वीकृति आवश्यक है। बावजूद इसके, जिले में यह धंधा तेजी से चल रहा है। एमडीडीए अवैध प्लॉटिंग के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, लेकिन प्रभावशाली लोगों की पहुंच और राजनीतिक दबाव के कारण यह समस्या रुकने का नाम नहीं ले रही है।
क्या करें खरीदार?
जमीन खरीदते समय एमडीडीए द्वारा स्वीकृत लेआउट की जांच करें।
संबंधित प्राधिकरण से जानकारी लेकर ही प्लॉट खरीदें।
एमडीडीए की वेबसाइट पर अवैध प्लॉटिंग की सूची देखकर सावधानी बरतें।
नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम
प्रशासन को कृषि भूमि पर प्लॉटिंग रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
प्रभावशाली लोगों के दबाव में न आकर अवैध गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
जनता को जागरूक किया जाए कि वे अवैध प्लॉट खरीदने से बचें।
अवैध प्लॉटिंग का यह खेल न केवल कृषि भूमि को खत्म कर रहा है, बल्कि देहरादून की सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विरासत को भी नुकसान पहुंचा रहा है। सरकार और प्रशासन को इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए।