चमोली(आरएनएस)। चमोली में कीवी के उत्पादन से काश्तकारों की आय मजबूत होने लगी है। वर्तमान में जनपद के 810 काश्तकार कीवी उत्पादन का कार्य कर रहे है। बीते वर्ष जनपद के काश्तकारों ने 20 कुंतल कीवी का उत्पादन कर 6 लाख की आमदनी प्राप्त की है। उद्यान विभाग के सहायक विकास अधिकारी रघुवीर सिंह राणा ने बताया कि चमोली में वर्ष 2021-22 में राज्य सेक्टर की योजना के तहत 725 काश्तकारों के साथ कीवी के 7000 पौधों का रोपण किया गया। जिसके बाद कीवी की मांग और उत्पादन को देखते हुए जिला प्रशासन ने अनटाइड फंड से वर्ष 2022-23 में 60 काश्तकारों को 2085 और वर्ष 2023-24 में वर्तमान तक मिशन कीवी अभियान के तहत 26 काश्तकारों को कीवी के पौधे आवंटित किए हैं। जबकि 54 काश्तकारों की ओर से कीवी के पौधों के लिए आवेदन किया गया है। उन्होंने बताया वर्ष 2023-24 में जनपद के कीवी उत्पादक काश्तकारों की ओर से स्थानीय स्तर पर 20 कुंतल कीवी का उत्पादन का 6 लाख की आय अर्जित की गई है। कहा कि वर्तमान में जिले के नैल-नौली, मंडल, बैरागना, बणद्वारा, कोटेश्वर, रौली-ग्वाड़, सरतोली, पैनी परसारी और थराली क्षेत्र में 810 कातश्कारों की ओर से कीवी का उत्पादन किया जा रहा है। कहा कि इस वर्ष जनपद में 40 कुंतल कीवी उत्पादन का अनुमान है। जबकि वर्ष 2025 तक यह उत्पाद 100 कुंतल से अधिक पहुंच जाएगा।
क्या कहते हैं काश्तकार-
कीवी के उत्पादन से बेहतर आय प्राप्त हो रही है। वहीं इसके उत्पादन में कम मेहनत में बेहतर फसल प्राप्त होती है। इसके फल को बंदर और लंगूर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। जिससे कीवी के उत्पादन में नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है। कीवी के औषधीय गुणों के चलते बाजार में बेहतर मांग है। जो काश्तकारों के लिए लाभकारी साबित होगा।
-महावीर सिंह, बैरागना, दशोली, चमोली(आरएनएस)।
कीवी का बाहरी हिस्सा रोंएदार होने और स्वाद खट्टा होने से इसे बंदरों और लंगूरों से बचाने की आवश्यकता नहीं होती। वहीं इसके औषधीय गुणों के चलते फल की बाजार में मांग बनी रहती है। फल का प्रसंस्करण कर इसके उत्पाद तैयार कर भी काश्तकार बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं।
-देवेंद्र सिंह, नौली, पोखरी, चमोली(आरएनएस)।
कीवी के औषधीय गुण: कीवी मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के साथ ही ब्लड प्रेशर, कब्ज, आंख संबंधी रोगों में लाभकारी बताया गया है। इसके साथ ही यह त्वचा को सुंदर बनाने और वजन को सामान्य करने में भी मददगार होता है। डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों में चिकित्सकों की ओर से कीवी के फल के सेवन की सलाह दी जाती है।
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