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दो राज्‍यों की सीमा पार कर हरियाणा पहुंच गयी खैर की लकडी, विभाग का दावा मिल गयी पूरी लकड़ी

Hamarichoupal,17,07,2024

देहरादून। उत्‍तराखण्‍ड से खैर के पेड़ कट कर कब हरियाणा पहुंच गये ये न तो पुलिस को पता चले और न ही वन विभाग को। जब मामला सुर्खियों में आया तो वन विभाग ने खैर के पेड़ काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की और पुलिस में मामला दर्ज कराया तो आखिर वन विभाग चौरी की गयी खैर की लकड़ी तक पहुंच ही गयी। वन विभाग के अधिकारियों ने अवैध रूप से काटी गयी खैर की लकड़ी को हरियाणा से बरामद करने का दावा किया है।
बताते चलें कि कुछ दिनों पहले वन विभाग के झाजरा रेंज के अटक फार्म इलाके से वन तस्‍करों ने बेसकीमती खैर के आधा दर्जन से अधिक पेड़ रातों रात काट डाले थे और रातों रात वहां से लकड़ी लेकर फरार हो गये थे। इस मामले की जानकारी मिलने पर वन विभाग में हड़कम्‍प मंच गया और आनन फानन मे वन विभाग के अधिकारियों ने वन तस्‍करों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कारर्वाई शुरू की । इस वन विभाग के अधिकारियों को पता चला कि खैर पेड़ों के अवैध पातन एवं अवैध अभिवहन के मामले में ग्राम सिंगरोड़ा ,भगवानपुर, रुड़की के कुछ लोग शामिल हैं, इसी सूचना के आधार पर विभागीय टीम ने . भगवानपुर पुलिस के साथ मिलकर सिगरोड़ा गाँव में कुछ सम्‍भावित लोगों के ठिकानों पर दबिश दी एवं जांच के दौरान लोगों से पूछताछ करने पर पता चला के काटी गयी खैर की लकड़ी पंजाब हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में रखी गयी है। इस तरह माल को रखे जाने की सूचना मिलने के बाद विभिन्न ठिकानों पर दबिश की गई जिसमें सोनीपत के एक छोटे से गाँव के एक खेत के पास के मैदान में खैर की लकड़ी विभागीय टीम को मिल गयी। इस तरह टीम ने वह लकड़ी प्राप्त कर कब्जे में ले ली । इस दौरान लकड़ी पर हक जताने के लिए कोई भी सामने नहीं आने से विभागीय टीम को तसकरो की गिरफ्तारी करने में सफलता नहीं मिल सकी। हालांकि विभागीय अधिकारियों का दावा है कि अवैध पातन में शामिल व्यक्तियों की पुख्ता जानकारी वन विभाग की टीम को प्राप्त हो चुकी है। अपराध में शामिल सभी व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि किस तरह से वन तस्‍करों ने दो राज्‍यों की सीमाओं को पार कर लकड़ी हरियाणा पहुंचाई हो गयी यह सोचनीय विषय है। क्‍या पुलिस चेक पोस्‍ट पर लकड़ी ढो रहे वाहनों को चेक ही नहीं किया या फिर लापरवाही कर इन वाहनों को छोड़ दिया गया। साथ ही साथ यह भी गंभीर मामला है कि वन विभाग के चेकपोस्‍ट से आखिर कैसे ये तस्‍कर बच निकले।

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