देहरादून(आरएनएस)। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून से आज भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 99 अधिकारी पास आउट हुए। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शिरकत की। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पास आउट हुए भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को संबोधित भी किया। 99 पास आउट होने वाली अधिकारियों में तीन उत्तराखंड के हैं।
जंगलों के महत्व को जान-बूझ कर भुलाने की गलती मानव समाज कर रहा है। हम यह भूलते जा रहे हैं कि वन हमारे लिए जीवनदाता हैं। यथार्थ यह है कि जंगलों ने ही धरती पर जीवन को बचा रखा है। यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को एफआरआई में हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह में कही। समारोह में 99 आईएफएस और दो मित्र देशों के अधिाकरी पास आउट हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और राज्यपाल लेज गुरमीत सिंह(सेनि) ने इस दौरान श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षु आईएफएस को सम्मानित भी किया। मुर्मु ने कहा कि पासआउट होने वाले इस बैच में कुल 10 महिला अधिकारी हैं। जो एक बड़ी उपलब्धि है। कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं। कहा कि अगले बैच में महिला अधिकारियों की संख्या और बढ़े। उन्होंने ये भी कहा कि महिलाओं को प्रकृति से ज्यादा लगाव होता है, ऐसे में महिला आईएफएस वन संरक्षण में बेहतर काम करेंगी, इसका उन्हें विश्वास है। उन्होंने कहा कि सभी प्रशिक्षु अधिकारियों पर वन एवं वन संपदा बचाने की अहम जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने कहा कि हम पृथ्वी के संसाधनों के मालिक नहीं हैं, बल्कि ट्रस्टी हैं। हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए हम सभी को गंभीर कदम उठाने होंगे। कहा कि वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है। इसलिए आईएफएस अधिकारियों की जिम्मेदार और बढ़ गई है।
कार्यक्रम में डीजी और विशेष सचिव फारेस्ट जितेंद्र कुमार, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अकादमी के निदेशक डा. जगमोह शर्मा, पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन, सीसीएफ डॉ. पराग मधुकर धकाते, राजाजी पार्क निदेशक डॉ. साकेत बडोला और आईजी गढ़वाल करन सिंह नागन्याल सहित कई लोग मौजूद रहे।