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विरासत में ब्रायन सिलास के मधुर पियानो धुन से मंत्रमुग्ध हुए देहरादून के लोग

Hamarichoupal,10,11,2023

देहरादून- 10 नवंबर 2023- विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के 15वें दिन एवं समापन समारोह के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ श्री रंजन प्रकाश ठाकुर, सीवीओ, ओएनजीसी, रीच विरासत के महासचिव श्री आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्यों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में ब्रायन सिलास द्वारा पियानो वादन की प्रस्तुति दी गई। उन्होंने अपने प्रस्तुति के शुरूआत ’फुल तुम्हें भेजा है खत में ’ की धुन पियानो पर बजाई उसके बाद उन्होंने ’लग जा गले की फिर कहीं’, उसके बाद फिर उन्होंने ’होठों पर ऐसी बात’ धुन बजाया, फिर ’ आ चल के तुझे मैं ले चलूँ.’ एवं अन्य कई गानों के छुन बजायें। ब्रायन सिलास के साथ तबले पर तुलसीराम माधवा और गिटार पर जयदीप लखटकिया ने संगत दिया एवं वे सिलास के साथ पिछले दो दशकों से संगत देते आ रहे हैं।

ब्रायन सिलास जी एक भारतीय पियानो वादक हैं, उन्हें संगीत में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित यश भारती पुरस्कार भी मिल चुका हैं। ब्रायन सिलास जी की वाद्ययंत्र में महारत हासिल करने का अदम्य जुनून ही उन्हें एक महान कलाकार बनाती हैं। ब्रायन के प्रारंभिक वर्ष कानपुर में संगीत परंपरा से जुड़े एक परिवार में बीते, अपने माता-पिता के आग्रह के बावजूद भी उन्होंने संगीत में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया, जैसे-जैसे ब्रायन जी बड़े हुए, संगीत की दुनिया उनके लिए देवी बन गई जिसने उन्हें लगातार मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। पियानो के साथ उनके जुड़ाव को लेकर ब्रायन को भारत और विदेशों में दर्शकों से प्रसिद्धि और प्रशंसा मिली।

ब्रायन जी को भारत के 51वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर न्यूयॉर्क के यूएन हॉल में उन्हें पियानो की प्रस्तुति प्रदर्शन के लिए निमंत्रण से सम्मानित किया गया। उन्होंने श्री बिल क्लिंटन के सामने न्यूयॉर्क के रॉकर फ़ेलर सेंटर में इंडो-अमेरिकन सोसाइटी में भी अपनी प्रस्तुति दि । वह ब्रिटेन में भारतीय कमिशन के लिए भी प्रस्तुति दे चुके हैं। उन्होंने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, मध्य पूर्व, यूरोप और मॉरीशस में कई सफल आयोजनों में भी अपना सहयोग दिया है। ब्रायन सिलास जी के लिए उनका संगीत उनके लिए एक स्तुति है जो की रोमांस, दर्शन, खुशी या उदासी और संगीत के सभी पहलुओं को शामिल करता है। ब्रायन ने संगीत में जो कुछ भी उत्कृष्ट है उसका सार खूबसूरती से दर्शाया है। उन्होंने 20 से भी अधिक एल्बम भी रिलीज़ की हैं। उन्होंने सांस्कृतिक और सामाजिक संवेदनशीलता के प्रति जमीनी स्तर पर पुलिस के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पुलिस कर्मियों को शिक्षित करने के लिए “कोर“ नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित एचआईवी एड्स के बारे में जागरूकता के उद्देश्य का समर्थन किया है। ब्रायन के दिल में बच्चों के लिए एक विशेष स्थान है और वह विशेष बच्चों के लिए एक संगठन “तमना“ से जुड़े हुए हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में रिकी केज द्वारा अर्थ कॉन्सर्ट आयोजित कि गई। उनकी पहली प्रस्तुति मेरे देश में रहा उसके बाद उन्होंने किसानों को समर्पित…जय किसान नामक गाना प्रस्तुत किया फिर उनके ग्रैमी विजेता एल्बम, साउंड्स ऑफ़ संसार से एक बंदिश जिसका नाम लॉन्गिंग है, एक प्रेम श्रद्धांजलि प्रस्तुत किया उसके बाद उन्होंने डब कुनाकोम….एक दक्षिण भारतीय लय गीत प्रस्तुत किया एवं अगला गाना एक कन्नड़ लोक गीत बंजे होनम्मा रहा। रिकी केज के साथ इंद्रप्रीत सिंह- वोकेलिस्ट, सिद्धार्थ बसरूर -वोकेलिस्ट एवं गिटार, सुधीर यदुवंशी -वोकल, सिद्धार्था बिलमानू -वोकल, रवि चंद्रा- बांसुरी, मंजूनाथन-परक्यूशन, राजेश नायर- साउंड इंजीनियर एवं निशांत वीडियो टेक ने सहयोग किया।

रिकी केज तीन बार ग्रैमी पुरस्कार विजेता भारतीय संगीतकार और एक पर्यावरणविद् हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय सहित 30 से अधिक देशों में प्रदर्शन किया है। दिसंबर 2022 में, केज को यूएनएचसीआर “सद्भावना राजदूत“ के रूप में घोषित किया गया था। केज ने अपने करियर की शुरुआत बेंगलुरु स्थित प्रगतिशील रॉक बैंड एंजेल डस्ट के कीबोर्डिस्ट के रूप में की थी। बैंड में दो साल बिताने के बाद, वह पूर्णकालिक संगीतकार बन गए और 2003 में अपना खुद का स्टूडियो, रिवोल्यूशन स्थापित किया। अंततः उन्होंने 3,000 से अधिक विज्ञापन जिंगल और कन्नड़ फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया। उन्होंने 2011 क्रिकेट विश्व कप उद्घाटन समारोह के लिए संगीत तैयार किया है। राजस्थान सरकार ने उन्हें सेव द चिल्ड्रन के नए वैश्विक अभियान, एवरी लास्ट चाइल्ड के लिए सद्भावना राजदूत के रूप में नामित किया है।

2016 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में एक वैश्विक मानवतावादी कलाकार के रूप में उत्कृष्टता और नेतृत्व पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल में शांति संसार के अंशों का लाइव प्रदर्शन किया। केज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने प्रदर्शन का समापन यह कहते हुए किया, “अंत में, मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं… जलवायु परिवर्तन वास्तविक है… जलवायु परिवर्तन मानव प्रेरित है। जलवायु परिवर्तन हम सभी को प्रभावित कर रहा है… और हमारा कार्रवाई दुनिया के दूसरी तरफ के देशों को प्रभावित करती है।“

रिकी केज बेंगलुरु में रहते हैं और उन्होंने बेंगलुरु के ऑक्सफोर्ड डेंटल कॉलेज से दंत चिकित्सा की है, लेकिन इसके बजाय उन्होंने संगीत में अपना करियर चुना है। हालांकि केज का काम कई शैलियों का मिश्रण है, उन्होंने कहा है कि उनके काम का सार उनकी भारतीय जड़ों के सौंदर्य को बरकरार रखता है, जो काफी हद तक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और थोड़ा कर्नाटक संगीत पर आधारित है। उन्होंने अपनी संगीत सीमाओं को लगातार चुनौती देने और आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तानी कव्वाल नुसरत फतेह अली खान और ब्रिटिश गायक पीटर गेब्रियल को प्रेरणा के रूप में उद्धृत किया है। केज एक स्व-सिखाया संगीतकार है।

समापन समारोह को संबोधित करते हुए रिच विरासत के महासचिव श्री आर के सिंह ने कहा कि यह 2023 का जो विरासत है वह एक सफल आयोजन रहा। मैं उन तमाम सहयोगी एवं वॉलिंटियर्स को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने इसको आज सक्सेसफुल बनाया है, साथ ही साथ मैं अपने स्पॉन्सर, मेहमानों और कलाकारों का भी धन्यवाद अदा करना चाहूंगा कि जिन्होंने विरासत में अपनी प्रस्तुति देकर विरासत को इस मुकाम तक पहुंचा है। उन्होंने मीडिया कर्मियों को भी धन्यवाद दिया कि उनकी मदद और योगदान के बिना विरासत को वह सफलता और प्रशंसा नहीं मिल पाती जो उसे मिल रही है। उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम के मकसद के बारे में बात की और कहा ’यह आयोजन विरासत को संरक्षित करने और संस्कृति के प्रसार के लिए आयोजित किया जाता है ताकि लोग पर्यटन के लिए विभिन्न देशों से उत्तराखंड आ सकें।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।

 

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