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कर्मचारियों ने बैंकों के निजीकरण का विरोध किया।

देहरादून। यूबीईयू के यूनियन कार्यालय में बैंकों के 55वें राष्ट्रीयकरण दिवस के उपलक्ष्य में बुधवार को सभा का आयोजन किया गया। जिसमें बैंकों के निजी करण का विरोध किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि जगदीश कुकरेती, अध्यक्ष एनआई वीएच, केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य, डिफेन्स यूनियन भी उपस्थित रहे। राष्ट्रीयकरण दिवस के उपलक्ष्य मे विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि जगदीश कुकरेती ने कहा कि बहुत लम्बे संघर्ष के बाद बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ है और इस तरह से यह राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में मील का पत्थर साबित हुआ। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिये राष्ट्रीयकृत बैंकों ने सराहनीय कार्य किया। जो कि आज तक अनवरत जारी है। साथी जगदीश कुकरेती ने कहा कि वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों से बैंकों के राष्ट्रीयकरण के स्वरूप को बदलने की कोशिश की जा रही है और बैंकों को फिर से निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। साथी सोहन सिंह रजवार ने कहा कि 1946 में एआईबीईए के अस्तित्व मे आने के बाद किस तरह से अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिये निरन्तर प्रयासरत है। सभा मे उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये और कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण के अस्तित्व को बचाने के लिये लम्बा संघर्ष करना पड़ेगा।
सभा की अध्यक्षता साथी विनय कुमार शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि आने वाला समय कठिन है और हमें हर लड़ाई के लिये तैयार रहना होगा। आयोजित सभा में विनय शर्मा, डीएन उनियाल, राजन पुण्डीर, बीपी सुन्दरियाल, आरके गैरोला, गोपाल तोमर, बीके ओझा, नवीन कुमार, संजय तोमर, ललित बडोनी, विनोद उनियाल, आकाश उनियाल, सनी कुमार आदि उपस्थित रहे।

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