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देहरादून। ग्राफिक एरा में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के प्रमुख विश्वविद्यालयों में शिक्षा पाने में आसानी होगी। ग्राफिक एरा ने प्रमुख विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू किया है। सोमवार को विवि में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के चेयरमैन डॉ. कमल घनशाला ने ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभिन्न कोर्सों में तीन साल पढ़ाई के बाद छात्र इन विवि में आगे एक या दो साल की पढ़ाई कर सकेंगे। तीन साल की डिग्री ग्राफिक एरा और मास्टर्स डिग्री विदेश की विवि से मिलेगी। ऐसे में विवि के छात्रों को दुनियाभर की उन्नत तकनीकों को सीखने का मौका भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं तकनीक के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अब शहर, राज्य या देश नहीं बल्कि ग्लोबल है। डा. कमल घनशाला के अनुसार, वर्ल्ड रैंकिंग में 251 से 300 रैंक बैंड में आने वाली अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय, फ्रांस की यूनिवर्सिटी पोलिटेक नॉन्त, ब्रिटेन की प्लायमॉथ यूनिवर्सिटी, फ्रांस के रेन्नैस स्कूल ऑफ बिजनेस, इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ फरारा, साउथ अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वाजुलू और लिथुनिया की विलनियस टेक के साथ समझौता हुआ है। इस दौरान विवि के कुलपति डा. नरपेंदर सिंह भी मौजूद रहे।
विवि के छात्र ने गेट में पायी देश में 25वीं रैंक
डा. घनसाला ने बताया कि 25 साल के सफल में अब तक ग्राफिक एरा के 40 से अधिक छात्र-छात्राओं ने गेट परीक्षा उत्तीर्ण की है। इस साल ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के बीटेक सीएस के छात्र कोटद्वार निवासी हिमांशु देवरानी ने गेट में देश में 25वीं रैंक प्राप्त की है। बीटेक के पांच छात्र-छात्राओं ने तीसरे वर्ष में ही गेट परीक्षा पास कर ली है। बीटेक अंतिम वर्ष के 20 छात्र-छात्राओं ने इस वर्ष गेट परीक्षा उत्तीर्ण करके अपनी योग्यता का परिचय दिया है। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के बीटेक ईसीई के छात्र अभिषेक सेमवाल ने गेट में ऑल इंडिया रैंक 93 प्राप्त की है।
पहाड़ों पर खोलेंगे फूड प्रोसेसिंग सेंटर
डॉ. घनशाला ने कहा कि पहाड़ों पर माल्टा और सेब की काफी फसल बाजारों तक न पहुंच पाने के कारण खराब हो जाती है। ऐसी फसलों को प्रोसेस कर बाजारों में लाने के लिए किसानों की मदद को प्रोसेसिंग सेंटर खोले जाएंगे। इससे रोजगार भी पैदा होंगे। इस मौके पर ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति और देश के रैंक वन के कृषि एवं फूड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. नरपिंदर सिंह ने किसानों को नई तकनीकों से जोड़ने की रणनीति के बारे में बताया।