चमोली। ज्योतिष पीठ ( बद्रीकाश्रम ) के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म जीवन्त धर्म और जीवन का व्याकरण है। शंकराचार्य ने कहा कि धर्म स्थलों के दर्शन और भगवद चिंतन, स्मरण, तप, साधना, पूजा अर्चना हर सनातनी को जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। बदरीनाथ के कपाट खुलने पर भगवान बदरी विशाल के दर्शन पूजन कर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा बदरीनाथ साक्षात में बैकुंठ हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि कपाट बंद होने पर देवता और कपाट खुलने के बाद मानव भगवान बदरी विशाल के दर्शन करते हैं। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य ने कहा कि कपाट बंद होने पर शीतकाल में देवर्षि नारद जी देवताओं की ओर से बदरी विशाल का पूजन करते हैं और कपाट खुलने पर मनुष्यों की ओर से भगवान बदरीविशाल का पूजन मुख्य पुजारी रावल जी करते हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा शास्त्रों पुराणों की यह बात कि बदरीसदृशं तीर्थं न भूतो न भविष्यति। भारत भूमि में करोड़ों तीर्थ हैं, पर इन सबमें अन्यतम तीर्थ हैं बदरीनाथ धाम है, पूर्णतया सत्य और प्रमाणिक है।
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