राष्ट्रीय न्यू सर्विस(RNS)
शकील अख़्तर
राहुल गांधी क्या करें? उनके तीन में दो मुख्यमंत्री पिछड़े हैं। पार्टी काअध्यक्ष दलित है। लेकिन उन्हें पिछड़ा विरोधी कहा जा रहा है। मायवती सेजब तब उन्हें दलित विरोधी कहलवा दिया जाता है। वे मंदिरों में गए। जनेऊधारण के फोटो आ गए मगर उधर से भी समर्थन नहीं मिला। धर्म की राजनीति नेसब रास्ते बंद कर दिए।तो मरता क्या न करता? और राहुल ने किया क्या? वही बात तो कही ना जिसेभाजपा को मुख्यधारा में स्थापित करने वाले लोहिया ने कही थी सौ में साठ,वही बात जो भाजपा से समझौता करके उसे यूपी में आधार देने वाले कांशीरामने कही थी जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी!
राहुल गांधी ने पहचान लिया है कि इस धर्म की राजनीति की जान कहां हैं।उन्होंने उस नाभी पर तीर चला दिया है। सेना भी उन्होंने वही चुनी हैनिहत्थी पिछड़ी हुई। जो न्याय के लिए राम के साथ खड़ी हो गई थी।
रावण रथी विरथ रघुवीरा! विरथ! पैदल। चार हजार किलोमीटर चल लिए। दक्षिण सेउत्तर तक पूरा देश नाप दिया। परिणाम। इन दिनों वैसा वनवास तो होता नहींहै। दो साल की सज़ा। लोकसभा सदस्यता खत्म। मकान खाली। तो यह वनवास है। हरसुविधा से वंचित। सडक़ पर इतना क्यों चले थे तो सडक़ पर ही पहुंचा दिया!
मगर राहुल की समझ में आ गया कि वे पूर्व से पश्चिम या पश्चिम से पूर्व एकऔर यात्रा कर लें लेकिन जब तक इस हिन्दू-मुसलमान राजनीति का काट नहींकरेंगे कुछ नहीं हो सकता।
धर्म की राजनीति ने देश को तबाह कर दिया। दुनिया में भारत की बदनामी होरही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को अमेरिका में सफाई देना पड़ी।देश के मुसलमानों की बात वहां करना पड़ी। यहां नहीं कह सकतीं। वे क्याकोई मंत्री नहीं कह सकता। नहीं कहता। विदेश जाकर कह रहे हैं कि भारत मेंमुसलमान बहुत सुरक्षित हैं।
देश के सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह हेट स्पीच नहीं तो क्या है? एककेन्द्रीय मंत्री के खिलाफ। मगर कहीं खबर भी नहीं। हर खबर दबा दी जातीहै। और जब खबर नहीं है तो जनता को कुछ मालूम नहीं है। उसे पूरी तरह हिन्दू मुसलमान के नशे में डूबो कर रखा है।
ऐसे में विपक्ष क्या करे? सबसे बड़ा विपक्षी दल कांग्रेस क्या करे?
आज जो राहुल की आलोचना कर रहे हैं क्या वे राहुल को वोट देते थे? 2014 सेवोट देना बंद है। ब्राह्म्ण, दलित, मुसलमान सब भाग गए। अब ऐसे में अगरराहुल जातिगत जनगणना की बात करते हैं तो क्या गलत करते हैं। धर्म का नशातोडऩे के लिए अगर बताते हैं कि सामाजिक रूप से आर्थिक रूप से कितनीअसमानता बढ़ गई है तो क्या गलत बताते हैं?
पिछड़ा पावे सौ में साठ! कहने वालों से ही तो भाजपा ( उस समय जनसंघ) नेसमझौता किया था। ये तो लोहिया का नारा था। जिनके साथ भाजपा ने 1967 मेंकई राज्यों में संविद ( संयुक्त विधायक दल) सरकारें बनाई थीं। अभी संसदमें ओबीसी ओबीसी चिल्ला रहे थे। मैं पिछड़ा हूं, पिछड़ों का अपमान हुआ।तो राहुल ने कर्नाटक में यही तो कहा कि चलो आओ पिछड़ों पर बात कर लो।
राहुल को लोकसभा में जवाब नहीं देने दिया गया। यहां सडक़ पर तो नहीं रोकसकते। राहुल ने कहा कि मुझ पर पिछड़ों का अपमान करने का आरोप लगा रहे होतो बताओ कि पिछड़ों की जो जनगणना हमने 2011 में करवाई थी उसके आंकड़ेरिलिज क्यों नहीं कर रहे? 2021 में जो जनगणना होना थी वह अभी तक शुरूक्यों नहीं हुई? राहुल इस समय पूरे फार्म में हैं। जो आम तौर पर कभीनहीं बोलते वह भी बोल दिया कि अगर जनगणना नहीं करवा सकते, पिछड़ो-दलित-आदिवासियों को उनकी संख्या के अनुपात में रिजर्वेशन नहीं दे सकते तो परेहट जाइए! हम कर देंगे।
बहुत बड़ी बात है। जबर्दस्त आत्मविश्वास के साथ। राहुल में यह आत्मविश्वासआया है सही मुद्दा पकडऩे के बाद। राहुल ने क्या क्या नहीं कर लिया।कोरोना में जब कोई निकलने को तैयार नहीं था। पैदल जा रहे मजदूरों के साथजाकर बैठे। खुद कोरोनाग्रस्त हो गए मगर लोगों की मदद करना जारी रखी। उनकेलिए रखा इंजेक्शन प्रियंका ने एक पत्रकार की पत्नी को जरूरत थी उसे भेजदिया। दलित लडक़ी के बलात्कार, मृत्यु की खबर पाने के बाद हाथरस जाने लगेपुलिस ने धक्का मारकर सडक़ पर गिरा दिया। लखीमपुर में केन्द्रीय मंत्रीके बेटे ने अपनी गाड़ी से किसानों को कुचलकर मार डाला। प्रियंका और फिरउनके गिरफ्तार होने पर राहुल लखीमपुर पहुंचे। किसानों के साथ खड़े रहे।पूरे आंदोलन।
पचास कहानियां हैं। चीन की घुसपैठ का मामला उठाना, बीस हजार करोड़ कासवाल, युवाओं का सपना तोडऩे वाली अग्निवीर योजना की सच्चाई बताना,नोटबंदी, गलत जीएसटी, बेरोजगारी, महंगाई सब पर बात करके देख ली। मगरहिन्दू-मुसलमान का नशा इतना तगड़ा है कि किसी भी चीज का असर नहीं हो रहा।
यहां तक की हमारे 40 बहादुर जवानों की मौत पर भी कोई बात करने को तैयारनहीं है। उन दिनों कश्मीर में राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक इंटरव्यू परइंटरव्यू देकर कह कर रहे है कि उन्हें हवाई मार्ग से भेजा जाना चाहिए था।सडक़ से नहीं। राज्यपाल कह रहे हैं कि मैंने कहा कि यह हमारी गलती है तोमुझ से कहा गया चुप रहो। इतनी बड़ी बात भी मीडिया से गायब है। 40 जवानोंकी मौत पर भी कोई बात करने को तैयार नहीं है। राष्ट्रवाद की बातें करतेहैं। चाहे जिसको देशद्रोही कहते हैं। मगर खुद पुलवामा, चीन का हमारी बीसहजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लेना, ठेके पर सेना में भर्ती करकेउसे कमजोर करना जैसे असली देश की एकता अखंडता, उसकी मजबूती उसके जवानोंकी सुरक्षा पर कोई बात करने को तैयार नहीं है।
राहुल गांधी क्या करें? उनके तीन में दो मुख्यमंत्री पिछड़े हैं। पार्टी काअध्यक्ष दलित है। लेकिन उन्हें पिछड़ा विरोधी कहा जा रहा है। मायवती सेजब तब उन्हें दलित विरोधी कहलवा दिया जाता है। वे मंदिरों में गए। जनेऊधारण के फोटो आ गए मगर उधर से भी समर्थन नहीं मिला। धर्म की राजनीति नेसब रास्ते बंद कर दिए।
तो मरता क्या न करता? और राहुल ने किया क्या? वही बात तो कही ना जिसेभाजपा को मुख्यधारा में स्थापित करने वाले लोहिया ने कही थी सौ में साठ,वही बात जो भाजपा से समझौता करके उसे यूपी में आधार देने वाले कांशीरामने कही थी जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी!
राहुल ने कोई नई बात नहीं कही। जातिगत जनगणना किसी के विरोध में नहीं है।आज तो सबको रिजर्वेशन मिल रहा है। जनरल को भी। गिनती हो सकता है उनकेफायदे में जाए। क्योंकि वह केवल जाति की नहीं होगी आर्थिक स्थिति की भीहोगी। नौकरी जनरल के पास भी नहीं है। उसे तो और कुछ आता भी नहीं है। पढ़तब गया जब शिक्षा सरकारी थी। अब प्राइवेट में वह अपने बच्चों को नहींपढ़ा सकता। इस पर से पर्दा हटेगा कि वह आर्थिक रुप से टूटने के बादसामाजिक रुप से भी कितना कमजोर हुआ है।
जातिगत, आर्थिक जनगणना किसी के खिलाफ नहीं है। देश में दो सौ से ज्यादाजातियां हैं। अभी बिहार में जातिगत जनगणना हो रही है। वहां मालूम पड़ा किपिछड़ों में से भी दो तीन बड़ी जातियों के पास ही सब कुछ है। धोबी,कुम्हार, बढ़ई, लुहार, रंगरेज, चूढ़ीवाला, माली, काछी, केवट और भी हरराज्य में अलग अलग पिछड़ी जातियां हैं उन्हें कुछ नहीं मिल रहा। दलितोंमें भी एक या दो जाति ने ही आरक्षण का सबसे ज्यादा फायदा उठाया है।वाल्मिकी (सफाईकर्मी) जैसी जातियां आज भी बहुत पीछे हैं।
राहुल का जितनी आबादी उतना हक का नारा पिछड़ों और दलितों में भी समानतालाएगा। वहां कुछ भी नहीं पा रही जातियों को उचित हिस्सा मिलेगा। जनरल मेंभी जितनी जातियां आती हैं उनमें से राजपूत शिक्षा और नौकरी दोनों मेंपीछे है। ब्राह्मण में भी तेजी से पढऩे वाले और नौकरी पाने वालों कीसंख्या घट रही है। कुछ जनरल जाति का ग्रोथ अच्छा है।
यह सब सामने आएगा तो किसी के खिलाफ नहीं होगा। जैसा कि कांग्रेस ने कहाकि सबका साथ सबका विकास दरअसल यही होगा। सच्चाई, तथ्य किसी के खिलाफ नहींहोते। सबके विकास में सहायक होते हैं।