शिमला,25,02,2022,Hamari Choupal
हिमाचल प्रदेश में सरकार ने कर्मचारियों के प्रदर्शन, घेराव, हड़ताल और बायकॉट पर रोक लगा दी है। प्रदेश में लगातार मुखर हो रहे सरकारी कर्मचारियों पर सरकार ने शिकंजा कसते हुए कड़ी कार्रवाई की चेतावनी जारी की है। जिस दिन कर्मचारी धरना प्रदर्शन करेंगे, उस दिन का उनका वेतन काटने के निर्देश दिए गए हैं। कानून का उल्लंघन किया तो उसी दिन संबंधित कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौखिक नसीहत के बाद मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने शुक्रवार को कार्मिक विभाग के माध्यम से इस बाबत चेतावनी आदेश जारी किए। सभी प्रशासनिक सचिवों, जिला उपायुक्तों, विभागाध्यक्षों और मंडलायुक्तों को यह पत्र जारी किया गया है। सरकार ने सिविल सर्विस रूल्स 3 और 7 का हवाला देते हुए आदेश जारी किए हैं कि प्रदर्शन, घेराव, हड़ताल, बायकॉट, पेन डाउन स्ट्राइक और सामूहिक अवकाश लेने और इस तरह की अन्य गतिविधियों में शामिल सरकारी कर्मचारियों का वेतन काटा जाएगा।
ऐसे कर्मचारियों पर आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है। संबंधित विभाग द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। कार्मिक विभाग ने कहा है कि ऐसी गतिविधियों के लिए अगर कर्मचारी विभाग को नोटिस भी देते हैं तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। आदेशों में स्पष्ट किया है कि अभी विधानसभा का बजट सत्र जारी है, ऐसे में कर्मचारियों को छुट्टियां देने पर रोक लगाई गई है।
सरकारी कर्मचारियों का प्रदर्शन करना और हड़ताल पर जाना नियमों के खिलाफ है। आदेशों में कहा है कि कार्यालयों में ऑफिस टाइम या उसके बाद भी बैठकें की जा रही हैं। कई कर्मचारियों को जबरन प्रदर्शन व हड़ताल के लिए कहा जा रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विधानसभा सदन में भी मुख्यमंत्री ने आंदोलन करने वाले कर्मचारी नेताओं को चेताया था, कहा था कि कुछ लोगों के बहकावे में आकर कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं।
पुरानी पेंशन, वेतन आयोग में संशोधन को लेकर चल रहे प्रदर्शन
हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए मंडी से पदयात्रा चली है। 3 मार्च को इनका विधानसभा घेराव का कार्यक्रम है। सातवें वेतन आयोग में संशोधन के लिए संयुक्त कर्मचारी मोर्चा भी मुखर है। विगत गुरुवार को ही डाक्टरों की पेन डाउन स्ट्राइक मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद स्थगित हुई है।
चुनावी वर्ष में मांगें बजट में शामिल करने के लिए बनाया जा रहा दबाव
प्रदेश में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में सरकार के आखिरी बजट सत्र में सभी कर्मचारी वर्ग मांगों को पूरा करवाने के लिए अलग-अलग तरीके से दबाव बनाने में जुटे हैं। धर्मशाला में शीत सत्र के दौरान भी सरकार को कर्मचारियों के रोष का सामना करना पड़ा था।
निर्धारित रास्ते से सरकार तक बात पहुंचाएं कर्मचारी : जयराम
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि कर्मचारी अपनी बात तरीके से निर्धारित रास्ते से सरकार तक पहुंचाएं। प्रदर्शन करना कोई विकल्प नहीं है। शुक्रवार को भोजन अवकाश के दौरान पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों के समय आंदोलनों को कुचला गया है। आंदोलनों में तब मौत और गिरफ्तारियां तक हुई हैं। राजनीतिक दृष्टि से किसी को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी कर्मचारियों का प्रदर्शन करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। विपक्ष में कोई भी सोच समझ वाला आदमी नहीं है। यह सब कुछ विपक्ष करवा रहा है। सरकारी कर्मचारियों को किसी का एजेंडा नहीं उठाना चाहिए।
कर्मचारियों के धरने पर रोक लगाने से सदन में हंगामा
स्कूटर पर सेब ढुलाई, कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन, हड़ताल और गेट मीटिंग पर रोक लगाने के मामले में सदन में जमकर हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। राज्यपाल के बजट अभिभाषण पर चर्चा के दौरान वन मंत्री राकेश पठानिया ने पूर्व कांग्रेस सरकार की ओर से किए गए जनविरोधी कार्यों और स्कूटर पर सेब ढुलाई जैसे शब्दों का प्रयोग किया।
स्कूटर पर सेब ढुलाई की बात पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी कई घोटाले हुए हैं। अगर हम इन्हें उजागर करने पर आ गए तो आप सुन नहीं सकोगे। इसी बीच, प्रदेश में कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन, हड़ताल पर रोक लगाने के आदेश पारित हुए। इससे विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री गुस्सा हो गए। इसके बाद दोनों मामलों को लेकर विपक्ष ने नारेबाजी शुरू दी।
मुकेश ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के आंदोलन को कुचलना चाहती है। प्रदर्शन करना कर्मचारियों का अधिकार है। कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं। यह उनका हक है। आउटसोर्स कर्मचारियों का कंपनियां शोषण कर रही हैं। वह नीति की मांग कर रहे हैं। करुणामूलक नौकरी की आस में आश्रित कई महीनों से हड़ताल पर हैं। उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। जयराम सरकार हर वर्ग को प्रताड़ित कर रही है। शुक्रवार को सदन में हुए इस हंगामे के बाद सदन लंच ब्रेक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।