19,01,2022,Hamari CHoupal
सम्मुख स्पष्ट रूप से साक्षात्कार हो, अभी यह हूँ, फिर यह बनूंगा? जैसे जब मंजिल पर पहुंच जायेंगे तो ऐसे समझेंगे, कि कदम रखने की देरी है। एक पांव रख चुके हैं, दूसरा रखना है। बस इतना अन्तर है।
पहाड भी राई बन जाता है, ऐसे कोई भी कार्य लाइट रूप बनने से हल्का हो जायेगा, बुद्धि लगाने की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। हल्के काम में बुद्धि नहीं लगानी पड़ती है।
यह कार्य करें या न करें, यह भी सोचना नहीं पड़ेगा। बुद्धि में वही संकल्प होगा जो यथार्थ करना है।
संकल्प की सिद्धि का साक्षात्कार हो, लाइट रूप होने से व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ समय समाप्त हो जाने के बाद संकल्प वही उठेगा जो होना है। आपकी बुद्धि में भी वही संकल्प उठेगा और जिसको करना है उनकी बुद्धि में भी वही संकल्प उठेगा कि यही करना है।