Friday , November 22 2024

आयुष्मान योजना के तहत कैंसर जैसी घातक बीमारी से ग्रस्त 27112 से अधिक लाभार्थी ले चुके हैं मुफ्त उपचार

08,11,2021,Hamari चौपाल

देहरादूनः कैंसर को अधिकांश मौकों पर असाध्य माना जाता रहा है। उसकी घातकता और तीव्रता जीवन के अवसरों को अन्य की अपेक्षा काफी हद तक कम कर देती है। लेकिन ऑन्कालॉजी में जब से आयुष्मान की दखल हुई, इस जानलेवा ब्याधि को भी साधा जाने लगा है। प्रदेश में अभी तक 27112 लाभार्थी ऑन्कालॉजी में मुफ्त उपचार ले चुके हैं। इस ब्याधि को साधने में अब 50 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं।

पचास करोड़ यानी आधा अरब। देखा जाए तो किसी योजना पर खर्च का यह आंकड़ा कोई छोटा आंकड़ा नहीं होता। लेकिन कोई राशि जब जिंदगी बचाने में खर्च की जाती है तो वहां आंकड़ों की जगह जिंदगी की अहमियत आगे हो जाती है। और खर्चा जब कैंसर जैसे असाध्य समझे जाने वाली ब्याधि को थामने पर हुआ हो तो लाभार्थियों के साथ ही जन मानस भी बगैर व्यवस्था की पीठ थपथपाए नहीं रहेगा।

दूर न जाकर अपने आसपास नजर दौड़ाई जाए, तो प्रदेश में ऐसे उदाहरण भी कम नहीं होंगे जब कैंसर जैसी जानलेवा व कष्टप्रद ब्याधि हो जाने पर अच्छी खासी इनकम वाले परिवारों के भी हाथ खड़े हो जाते रहे। धारणा यह रहती थी कि बीमार का हाल तो संभलने से रहा, और बेहिसाब का जो भी खर्च होगा वह पैसा पानी में बहाने जैसा है।

समय की प्रगति के साथ आन्कॉलॉजी में हुई प्रगति ने इस असाध्य को काफी हद तक साध लिया है। लेकिन ऑन्कोलॉजी के खर्चीले उपचार को सामान्य व्यक्ति तो वहन नहीं कर सकता था। घर का मुखिया इलाज पर पैसा खर्च करे या फिर परिवार का भरण पोषण करे। यह बड़ी समस्या नहीं थी बल्कि हर किसी प्रभावित के सामने सबसे बड़ी समस्या थी।

अब सुखद यह है कि आयुश्मान कार्ड के जरिए लोग खर्चीली बीमारी का भी पूरी निश्चिंतता के साथ उपचार ले रहे हैं। अब ब्याधि धारक के साथ ही पूरा परिवार ही तनाव मुक्त है। अभी तक 27112 लाभार्थी ऑन्कालॉजी में मुफ्त उपचार ले चुके हैं। इस ब्याधि को साधने में अब 50 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं।

आयुष्मान लाभार्थियों का कहना है कि बीमारी का कष्ट अपनी जगह है, लेकिन उसके साथ में जो कभी उठाए जा सकने वाले खर्च का भी तनाव हो जाए तो जिंदगी के दिनों का और कम हो जाना स्वाभाविक सी बात हो जाती है। वह कहते हैं कि भला हो आयुष्मान योजना के नियंताओं और इसके संचालकोें का, जिससे हमें जानलेवा ब्याधि से लड़कर फिर से जीने का हौसला मिला है।
इसी तरह से रूद्रपयाग जनपद के जखोली निवासी बचन सिंह, श्रीमती पुष्पा, पौड़ी के ओमप्रकाश, हरिद्वार से फरहा, देहरादून से जावेद अंसारी कहते हैं कि आयुष्मान योजना रही तो ही वह अपने मरीज का उपचार करा पाए। आयुष्मान की बदौलत कोई स्वयं तो किसी के परिजन ने मुफ्त में उपचार लिया है।

लाभार्थी अस्पताल की व्यवस्थाओं की भी जमकर प्रसंशा करते हैं। वह इसलिए भी क्योंकि योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पताल में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण उत्तराखंड की ओर से आयुष्मान मित्र को यह जिम्मेदारी भी सौंपी गई है कि किसी भी लाभार्थी को कोई परेषानी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए बाकायदा उसकी जबाबदेही तक तय की गई है। इस सुगमता के लिए लाभार्थी योजना के साथ ही एसएचए का भी आभार जताना नहीं भूलते, और पुनर्जीवन से बड़ी खुशी तो कोई हो ही नहीं सकती।

About admin

Check Also

21दिवसीय ऐपण प्रशिक्षण संपन्न

पिथौरागढ़(आरएनएस)। नगर के भदेलवाडा में परम सेवा समिति का 21दिवसीय ऐपण प्रशिक्षण संपन्न हो गया …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *