देहरादून,19,10,2025
देहरादून। दीपावली खुशियों रौशनी और उत्सव का त्योहार है लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय सावधानी बरतने का भी होता है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं ऐसे में जरा-सी लापरवाही मां और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। संजय आर्थोपेडिक स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर की प्रसिद्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सुजाता संजय ने दीपावली के अवसर पर गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सुझाव दिए हैं ताकि वे त्योहार का आनंद भी ले सकें और सुरक्षित भी रहें।
डॉ सुजाता संजय के अनुसार दीपावली पर जलाए जाने वाले पटाखों से निकलने वाला धुआं शोर और रसायन गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते हैं।पटाखों के धुएं में कार्बन डाइऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड और अन्य विषैले तत्व होते हैं जो मां और भ्रूण दोनों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। अगर ये गैसें भ्रूण तक पहुंच जाएं तो उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती जिससे बच्चे के विकास में रुकावट आ सकती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को पटाखों से पूरी तरह दूर रहना चाहिए और खुली हवा या हवादार जगह में रहना चाहिए।
गर्भावस्था में महिलाओं के कान और तंत्रिका तंत्र अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। पटाखों या लाउड म्यूजिक जैसी तेज आवाजें गर्भवती महिलाओं के लिए तनाव सिरदर्द और बेचैनी का कारण बन सकती हैं। इसलिए शांत वातावरण में त्योहार मनाना ही बेहतर है। जिन महिलाओं को अस्थमा या एलर्जी की समस्या है उन्हें दीपावली के दौरान विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए।
डॉ सुजाता संजय बताती हैं कि ऐसी महिलाएं अपने साथ हमेशा इनहेलर रखें और प्रदूषण से बचने के लिए घर से बाहर निकलने से बचें।
डॉ सुजाता संजय के अनुसार फूलों और सजावट की वस्तुओं को घर में लाने से पहले पानी से अच्छी तरह छिड़काव करें ताकि उन पर जमी धूल और पराग पोलन हट जाए। इससे एलर्जी का खतरा कम हो जाता है। त्योहार से पहले घर की सफाई करना परंपरा है लेकिन गर्भवती महिलाओं को इस दौरान ऊंचाई पर चढ़ने भारी सामान उठाने या रासायनिक क्लीनर का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। स्टूल या कुर्सी पर चढ़ना खतरनाक हो सकता है। साबुन या फर्श धोने वाले घोल का ज्यादा इस्तेमाल करने से भी फिसलने की संभावना रहती है। अगर सफाई करनी ही पड़े तो परिवार के किसी सदस्य की मदद लें और लंबे समय तक झुकने से बचें। अक्सर महिलाएं त्योहार की तैयारियों में व्यस्त होकर भोजन और आराम की उपेक्षा कर देती हैं। गर्भावस्था में यह बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
डॉ सुजाता संजय सलाह देती हैं गर्भवती महिलाओं को 1 से 2 घंटे के अंतराल पर थोड़ा थोड़ा पौष्टिक आहार लेना चाहिए और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। तेल मसाले वाले भोजन से परहेज करें और मिठाइयाँ सीमित मात्रा में खाएँ। ऐसा करने से चक्कर थकान और अम्लता जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। त्योहारों में बड़ों का आशीर्वाद लेना परंपरा है लेकिन गर्भवती महिलाओं को पीठ के बल झुकने से बचना चाहिए। घुटनों के बल झुकें या फिर हाथ जोड़कर प्रणाम करें। यदि पेट बहुत अधिक निकला हुआ है तो पति या किसी परिवारजन से सहारा लें।
डॉ सुजाता संजय सलाह देती हैं कि दीपावली की रात पारंपरिक परिधान पहनने का मन करता है लेकिन गर्भावस्था में आराम को प्राथमिकता दें। सिंथेटिक या सिल्क की बजाय कॉटन के हल्के और ढीले कपड़े पहनें दें। यह सुरक्षा के साथ साथ आरामदायक भी रहेगा। अगर दीपावली की तैयारियों या उत्सव के दौरान आपको थकान पेट में मरोड़ मिचली सांस लेने में परेशानी या अम्लता महसूस हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। स्वयं से दवा लेने से बचें और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें।