उत्तराखंड,21,09,2025
शरदिया नवरात्रि, हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार, मां दुर्गा की उपासना का विशेष अवसर है। यह नौ दिनों का उत्सव शक्ति, भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जो अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक मनाया जाता है।नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है.
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग अलग रूप की पूजा आराधना की जाती है. एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्रे। इसमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है. इसके अलावा आषाढ़ और माघ गुप्त नवरात्रि होती है.शारदीय नवरात्रि पर्व अश्विनी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. इस बार तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर दो दिन होने के कारण नवरात्रि पर्व 10 दिनों तक मनाया जाएगा.
नवरात्रि पर्व की तिथि बढ़ना शुभ माना जाता है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 21 सितंबर की अर्ध रात्रि 1.24 बजे से लगेगी, जो कि दूसरे दिन 22 सितंबर की ब्रह्मवेला में प्रतिपदा तिथि तक रहेगी. अत: इस दिन ही शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरूआत होगी.
शारदीय नवरात्रि तिथि
22 सितंबर, सोमवार : प्रतिपदा तिथि
23 सितंबर, मंगलवार : द्वितीय तिथि
24 सितंबर, बुधवार : तृतीया तिथि
25 सितंबर, गुरुवार : तृतीया तिथि
26 सितंबर, शुक्रवार : चतुर्थी तिथि
27 सितंबर, शनिवार : पंचमी तिथि
28 सितंबर, रविवार : षष्ठी तिथि
29 सितंबर, सोमवार : सप्तमी तिथि
30 सितंबर, मंगलवार : अष्टमी तिथि
01 अक्टूबर, बुधवार : नवमी तिथि
02 अक्टूबर, गुरुवार : दशहरा
मां दुर्गा के नौ स्वरूप और भोग
प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक विशिष्ट स्वरूप की पूजा की जाती है, और उनके लिए विशेष भोग अर्पित किया जाता है। ये भोग मां को प्रसन्न करने के साथ-साथ भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायता करते हैं। निम्नलिखित हैं नौ दिनों के भोग:
मां शैलपुत्री: देसी घी से बनी खीर या हलवा। यह शुद्धता और स्वास्थ्य का प्रतीक है।
मां ब्रह्मचारिणी: मिश्री या शक्कर से बनी मिठाई। यह संयम और मधुरता प्रदान करता है।
मां चंद्रघंटा: दूध से बनी खीर या रबड़ी। यह शांति और समृद्धि का प्रतीक है।
मां कूष्मांडा: मालपुआ। यह प्रचुरता और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
मां स्कंदमाता: केले या केले से बनी मिठाई। यह मातृसुख और संतान सुख का प्रतीक है।
मां कात्यायनी: शहद या शहद से बनी मिठाई। यह साहस और शक्ति प्रदान करता है।
मां कालरात्रि: गुड़ से बना हलवा या मिठाई। यह नकारात्मकता से मुक्ति दिलाता है।
मां महागौरी: नारियल या नारियल से बनी मिठाई। यह शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है।
मां सिद्धिदात्री: तिल के लड्डू। यह सिद्धि और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
पूजा विधि
शरदिया नवरात्रि की पूजा में शुद्धता और भक्ति का विशेष महत्व है। निम्नलिखित है पूजा की सामान्य विधि:
स्नान और शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
कलश स्थापना: पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसमें एक मिट्टी के कलश में जल, सुपारी, सिक्का और मिट्टी डालकर जौ बोए जाते हैं। इसे मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है।
मां की पूजा: प्रत्येक दिन मां के विशिष्ट स्वरूप की पूजा करें। मां की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं, फूल, धूप, और भोग अर्पित करें।
मंत्र जाप: दुर्गा सप्तशती का पाठ, “ॐ दुं दुर्गायै नमः” या अन्य मंत्रों का जाप करें।
आरती और भोग वितरण: पूजा के अंत में मां की आरती करें और भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांटें।
व्रत: कई भक्त नवरात्रि के दौरान उपवास रखते हैं, जिसमें फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है।
शरदिया नवरात्रि की परंपराएं
कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं और एक बालक (लंगूर) की पूजा की जाती है। इन्हें मां दुर्गा का स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है।
दुर्गा पंडाल और जागरण: कई स्थानों पर मां दुर्गा के भव्य पंडाल सजाए जाते हैं, और रात में जागरण और भक्ति भजनों का आयोजन होता है।
रामलीला और दशहरा: नवरात्रि के अंत में विजयादशमी पर रामलीला का आयोजन होता है, जो भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है। इस दिन शस्त्र पूजा और रावण दहन भी किया जाता है।
शरदिया नवरात्रि का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
शरदिया नवरात्रि केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक भी है। यह पर्व नारी शक्ति की महिमा को दर्शाता है और समाज में नारी के सम्मान को बढ़ावा देता है। भक्तों में भक्ति, संयम और सकारात्मकता की भावना जागृत होती है। इसके अलावा, प्रसाद वितरण और सामूहिक पूजा सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।
शरदिया नवरात्रि 2025 मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति का उत्सव है, जो भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक बल प्रदान करता है। यह नौ दिन न केवल मां के नौ स्वरूपों की पूजा का अवसर है, बल्कि आत्म-निरीक्षण और सकारात्मक बदलाव का समय भी है। इस नवरात्रि, मां दुर्गा के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित करें, उनके प्रिय भोग चढ़ाएं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर दें।
जय माता दी!
डिसक्लेमर :-
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