Hamarichoupal,17,09,2025
देहरादून ( हमारी चौपाल) उत्तराखंड में बीती रात आई भीषण अतिवृष्टि के बाद जिला प्रशासन ने तत्परता की मिसाल पेश की। आपदा की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अमला अलर्ट मोड पर आ गया और रातभर राहत व बचाव कार्यों में जुटा रहा। जिलाधिकारी सविन बंसल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने स्वयं ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और लगभग 8 किलोमीटर पैदल चलकर कार्लीगाड गांव में 24 घंटे से फंसे 70 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
आपदा के दौरान कार्लीगाड गांव दोनों ओर से कट ऑफ हो गया था, जिससे संपर्क पूरी तरह टूट गया था। डीएम और एसएसपी ने मौके पर पहुंचकर फंसे लोगों को निकालने के लिए फोर्स की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। सहस्त्रधारा क्षेत्र के मजाड़ गांव में भी जानमाल का नुकसान हुआ, जहां अधिकारी पैदल पहुंचकर राहत कार्यों का संचालन करते रहे।
जिलाधिकारी ने कहा, “आपदा, मुसीबत या अनहोनी को न्यून करना जिला प्रशासन का दायित्व है। प्रशासन हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ा है।” उन्होंने राहत शिविरों में पीड़ितों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया और भरोसा दिलाया कि प्रति परिवार को तीन माह तक 4-4 हजार रुपये किराया सहायता दी जाएगी, यदि वे सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट होना चाहें।
प्रशासन ने वाईब्स लाइन, आईसबर्ग, हेली रिसॉर्ट, होटल हिल व्यू और पर्ल इन जैसे पांच होटलों को अधिग्रहित कर राहत केंद्र बनाया है। 10 कार्मिकों की तैनाती के साथ जिला पर्यटन विकास अधिकारी को नोडल और सहायक खंड विकास अधिकारी रायपुर को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
आपदा कंट्रोल रूम से समन्वय करते हुए डीएम ने सभी एसडीएम, तहसीलदारों और रेस्क्यू टीमों को आवश्यक निर्देश दिए। उप जिलाधिकारी हरिगिरि और कुमकुम जोशी ने तड़के से ही राहत कार्यों का संचालन किया और पल-पल की जानकारी डीएम को देते रहे।
जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री से अनुमति प्राप्त कर फुलेत, सरखेत, छमरौली, सिल्ला, क्यारा समेत आसपास के गांवों में एयरलिफ्ट के माध्यम से 150 राहत किट पहुंचाई। प्रत्येक किट में दाल, चावल, आटा, नमक, चीनी जैसी आवश्यक सामग्री शामिल थी, जिनका वजन 15 से 20 किलो तक था। इन गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया था और 60 से अधिक परिवार संकट में थे।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था और यातायात नियंत्रण के लिए पुलिस बल को निर्देशित किया। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि राहत सामग्री वितरण, मार्गों की सुगमता और संसाधनों की आपूर्ति में कोई बाधा न आए।
यह आपदा भले ही विकराल थी, लेकिन प्रशासन की तत्परता और समर्पण ने इसे एक अनुकरणीय उदाहरण में बदल दिया।