Hamarichoupal,16,09,2025
देहरादून/विकासनगर, 16 सितंबर 2025: उत्तराखंड में मानसून की तबाही और खनन माफियाओं की लापरवाही ने एक बार फिर गरीब मजदूरों की जान ले ली। शिमला बायपास रोड के पास आसन नदी पर परवल रोड इलाके में मंगलवार सुबह करीब 7 बजे खनन कार्य के दौरान एक दर्दनाक हादसा हुआ। आठ मजदूर, जो रेत खनन के लिए नदी में उतरे थे, अचानक आए तेज बहाव में बह गए। सूत्रों के मुताबिक, मजदूरों को नदी के बढ़ते जलस्तर का अंदाजा नहीं था। जान बचाने के लिए वे ट्रॉली पर चढ़ गए, लेकिन पानी का वेग इतना प्रचंड था कि पूरी ट्रॉली बह गई। अब तक तीन शव बरामद हो चुके हैं, जबकि बाकी पांच लापता मजदूरों की तलाश में पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं।
हादसे का विवरण
स्थानीय लोगों के अनुसार, मजदूर रोजाना की तरह सुबह-सुबह खनन के लिए आसन नदी के किनारे पहुंचे थे। भारी बारिश के कारण नदी पहले से ही उफान पर थी, लेकिन काम शुरू करने से पहले खतरे का कोई आकलन नहीं किया गया। अचानक पानी का बहाव बढ़ा, और मजदूरों ने ट्रॉली पर चढ़कर जान बचाने की कोशिश की। लेकिन तेज धारा ने ट्रॉली सहित सभी को बहा ले गया। बरामद तीन शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए विकासनगर के सिविल अस्पताल भेज दिया गया है। मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के अनुसार वे स्थानीय मजदूर थे।
**खनन माफियाओं की लापरवाही और प्रशासन पर सवाल:**
इस हादसे ने खनन माफियाओं की लापरवाही और पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सूत्रों का दावा है कि रात में ही खबर थी कि ऊपरी इलाकों में बादल फटने की घटना हुई थी, जिससे आसन नदी का जलस्तर बढ़ना तय था। इसके बावजूद, पुलिस और प्रशासन ने नदी किनारे रहने वाले लोगों को स्थान खाली कराने या खनन गतिविधियों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सूत्रों की मानो तो खनन माफिया और पुलिस के बीच साठगांठ के कारण अवैध खनन बेरोकटोक चल रहा है, जिससे न केवल प्राकृतिक वातावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि गरीब मजदूरों की जान भी खतरे में पड़ रही है। एक स्थानीय निवासी ने गुस्से में कहा, “अगर पुलिस समय रहते नदी में जाने से रोकती, तो यह हादसा टल सकता था। माफियाओं के साथ मिलकर प्रशासन ने मजदूरों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया।”
प्रशासन का रेस्क्यू और राहत कार्य
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। स्थानीय लोग भी राहत कार्यों में प्रशासन का साथ दे रहे हैं।
प्राकृतिक वातावरण पर असर
यह हादसा उत्तराखंड में अवैध खनन के दुष्परिणामों को उजागर करता है। आसन नदी के किनारे लगातार हो रहे अवैध खनन से नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि खनन माफियाओं की मनमानी के कारण क्षेत्र की जैव-विविधता और जल संसाधनों को भारी नुकसान हो रहा है।
मौसम की चेतावनी और प्रशासन की अपील
मौसम विभाग ने देहरादून, हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में अगले 48 घंटों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। प्रशासन ने लोगों से नदियों के किनारे न जाने और खनन गतिविधियों से दूर रहने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया है।
यह हादसा न केवल खनन माफियाओं की लापरवाही, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि अवैध खनन पर तत्काल रोक लगे और दोषी अधिकारियों व माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। इस बीच, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
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