Hamarichoupal,09,09,2025
देहरादून( हमारी चौपाल ) यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) ने मंगलवार को हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर लर्निंग एंड लीडरशिप (HILL) के तत्वावधान में तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन ‘हिमालय कॉलिंग 2025’ का शुभारंभ किया। इस वर्ष के सम्मेलन का थीम “हिमालय के साथ उठो और एसडीजी की गति बढ़ाओ” रखा गया है, जिसका उद्देश्य हिमालय क्षेत्र की सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और बौद्धिक धरोहर को संरक्षित करते हुए सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को गति देना है।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में 700 से अधिक छात्र और 1,600 से ज्यादा प्रतिनिधि (ऑफलाइन और ऑनलाइन) भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम में 17 ऑफलाइन और 9 ऑनलाइन सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें 128 प्रमुख वक्ता अपने विचार साझा करेंगे। इस वर्ष की खास बात यह है कि इसमें 10 पद्म पुरस्कार विजेताओं ने शिरकत की, जिनमें पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, इम्यूनोलॉजिस्ट प्रो. जी.पी. तलवार, और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. कल्याण सिंह रावत जैसे गणमान्य व्यक्ति शामिल हैं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने कहा, “हिमालय कॉलिंग हमारे महान हिमालय की रक्षा के लिए एक सामूहिक प्रतिबद्धता है। HILL एक ऐसा मंच बन गया है जहाँ ज्ञान और कर्म का संगम होता है और जो समुदायों, वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं और छात्रों को एकजुट करता है।”
यूपीईएस के कुलपति डॉ. राम शर्मा ने कहा, “हिमालय कॉलिंग एक जीवंत कक्षा है, जहाँ शोध को व्यवहार में बदलकर SDGs को गति दी जा रही है।” वहीं, HILL के निदेशक डॉ. जे.के. पांडेय ने बताया कि इस वर्ष का फोकस समाधान-प्रधान है, जहाँ शैक्षणिक शोध को सामुदायिक ज्ञान से जोड़ा जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान हिमालयी उत्पादों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें 400 से अधिक हस्तशिल्प, खाद्य उत्पाद और स्मृति-चिह्न प्रदर्शित किए गए। यह प्रदर्शनी 9 से 11 सितम्बर तक सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक जारी रहेगी।
तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में ईएसजी, पर्वतीय आजीविका, खाद्य सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, अक्षय ऊर्जा और हिमालय के पारंपरिक ज्ञान जैसे विषयों पर गहन चर्चा होगी। समापन सत्र में डॉ. नितिन सेठ, डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, डॉ. दुर्गेश पंत और श्रीमती मीनाक्षी सुंदरम जैसे विशेषज्ञ मुख्य वक्ता होंगे।
हिमालय कॉलिंग 2025 का उद्देश्य न केवल हिमालय क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा करना है, बल्कि ठोस समाधानों और सहयोगात्मक पहलों को बढ़ावा देना है, ताकि इस अनूठे क्षेत्र का सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।