Hamarichoupal,28,07,2025
देहरादून : त्यौहारों, पर्वों, स्नानों और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान श्रद्धालुओं के सुचारु आवागमन और व्यवस्थित संचालन सुनिश्चित करने के लिए सभी जनपद प्रभारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह कदम धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण और किसी भी संभावित भगदड़ जैसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए उठाया गया है।
आई.जी. स्वरूप ने बताया कि परिक्षेत्र के धार्मिक स्थलों पर अक्सर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं, जिससे अत्यधिक भीड़ जमा हो जाती है। पूर्व में ऐसी स्थितियों में भगदड़ जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने निम्न महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं:
ठोस कार्ययोजना का निर्माण: सभी जनपदों को धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण और आकस्मिक घटनाओं की रोकथाम के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार करने और तदनुसार सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
धार्मिक स्थलों का चिह्नीकरण और आकलन: स्थानीय पुलिस और अभिसूचना इकाई के माध्यम से सभी धार्मिक स्थलों की पहचान की जाएगी। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किन पर्वों, त्यौहारों या सामान्य अवसरों पर कितनी भीड़ एकत्रित होती है, जिसके आधार पर प्रत्येक धार्मिक स्थल के लिए विशेष सुरक्षा कार्ययोजना (एस.ओ.पी.) तैयार की जाएगी।
नियमित सुरक्षा ऑडिट: तैयार की गई कार्ययोजना के अनुरूप, स्थानीय जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर प्रत्येक 15 दिन में क्षेत्राधिकारी के माध्यम से सुरक्षा ऑडिट कराया जाएगा। इस ऑडिट में सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण और किसी भी अन्य घटना के सभी पहलुओं की गहनता से समीक्षा की जाएगी।
पर्याप्त विद्युत और अग्नि सुरक्षा व्यवस्था: धार्मिक स्थलों पर पर्याप्त विद्युत व्यवस्था सुनिश्चित करने और विद्युत लाइन व उपकरणों के सुरक्षित संचालन के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को उत्तरदायी बनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, अग्नि सुरक्षा के लिए फायर उपकरण स्थापित किए जाएंगे और उनके संचालन हेतु आवश्यकतानुसार फायर कर्मियों की तैनाती की जाएगी।
सुरक्षा कर्मियों का उत्तरदायित्व और तैनाती: धार्मिक स्थलों की सुरक्षा हेतु नियुक्त सुरक्षा कर्मियों के नेतृत्व के लिए उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सुरक्षा में नियुक्त कार्मिकों की पूरी नफरी हो।
नियमित मॉक ड्रिल: सुरक्षा व्यवस्थाओं की सतर्कता के परीक्षण हेतु समय-समय पर जिम्मेदार अधिकारियों के नेतृत्व में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, और इसमें पायी जाने वाली त्रुटियों का समय रहते निराकरण सुनिश्चित किया जाएगा।
मंदिर समिति के पदाधिकारियों से समन्वय: स्थानीय जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर मंदिर समिति के पदाधिकारियों के साथ गोष्ठी आयोजित की जाएगी। इसमें सुरक्षात्मक उपायों पर सुझाव प्राप्त किए जाएंगे और उनके आधार पर यथाशीघ्र उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
खुफिया जानकारी का संकलन: स्थानीय अभिसूचना इकाई के माध्यम से धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में सूचनाओं का संकलन कराया जाएगा और प्राप्त महत्वपूर्ण सूचनाओं के आधार पर समय से उचित कार्यवाही की जाएगी।
आई.जी. राजीव स्वरूप ने स्पष्ट किया कि इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए ताकि गढ़वाल परिक्षेत्र में सभी धार्मिक आयोजन सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से संपन्न हो सकें।