HamariChoupal,24,07,2025
सेवानिवृत्ति से बागवानी तक का सफर
इंद्र सिंह नेगी ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद खेती को न केवल आजीविका का साधन बनाया, बल्कि इसे एक मिशन के रूप में अपनाया। देहरादून के ग्राम कागवाला में स्थापित संजीवनी वैली फार्म में उन्होंने ऐसी फल प्रजातियों पर काम किया, जो उत्तराखंड की जलवायु और मिट्टी के लिए अनुकूल हों। उनकी दृष्टि थी कि स्थानीय किसानों को आधुनिक तकनीकों और उन्नत प्रजातियों के माध्यम से समृद्ध किया जाए।
संजीवनी वैली फार्म: फलों की प्रजातियों का खजाना
इंद्र सिंह नेगी ने अपने फार्म में देश-विदेश से लाई गई फलों की दुर्लभ और उन्नत प्रजातियों का संग्रह किया है। उनके फार्म में वर्षाकालीन और शीतकालीन फल प्रजातियों की विविधता देखते ही बनती है। कुछ प्रमुख प्रजातियां इस प्रकार हैं:
वर्षाकालीन:
- आम: जापानी -मियाजाकी, काकापाता, नेमधकमुई, रेड आइवरी, बनाना आदि अमेरिकन आम- रेड फ्लमवर, टॉमी एटकिंसन, सेंसेशन आदि पूसा आम – मालिका, अरुणिमा, सूर्या, श्रेष्ट, लालिमा आदि, लखनवी आम- दशहरी, लंगड़ा, चौसा, रामकेला आदि जैसी प्रजातियां। खासतौर पर मियानजाकी आम, जो विश्व का सबसे महंगा आम माना जाता है, ने उनके फार्म को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
- लीची: कलकत्ती, मुजफ्फरपुरी, मुंबईया, वेदाना, और रोज सेंटटेड आदि
- भारतीय प्रजाति अमरूद: ललित, श्वेता, सरदार, थाइलैंड अमरूद: रेड डायमंड, और ब्लैक मास्टर और पिंक सेंसेशन
- जामुन: जे -37, जे-42, और इंडिया ब्लैक।
- नींबू: कागजी कलां, कागजी सदाबहार, और पाकिस्तानी।
- कटहल: पीतांबर, ग्रीन वेस्ट
- शीतकालीन फल: सेव-सुपर चीप रेट, बालटॉड जीरोमाइन, रेड ब्लॉक, गेल गाला , डार्क वेरॉन गाला, शामों, fen प्लस गाला आदि ।
- नाशपाती: रेड वॉलेट, मैक्स वॉलेट, और रेड ब्यूट।
- आडू: सहारनपुर प्रभात, शाह ने पंजाब, शिमला ब्यूटी, जुलाई अल्बर्ट, और गालों हेवन।
- बादाम: सोनारा, हाई एक्सेल आदि, कवि – एलिसन, हावर्ड, मॉन्टी, तोमरी, और गोल्डन रेड कीवी आदि
- अखरोट: गोविंद, प्रताप, और CITH (1 से 27 किस्में)।
- मालबेरी: माल बेरी येलो मालबेरी रेड, ब्लैकबेरी, मार्टिन।
- स्ट्रॉबेरी: चांडलर, विंटर डाउन, fartuna और विंटर ब्यूटी
- ड्रैगन फ्रूट: येलो, रेड, पिंक, और व्हाइट।
इन प्रजातियों को रूट स्टॉक आधारित तकनीकों और उन्नत बागवानी विधियों के माध्यम से विकसित किया गया है। इन्द्र सिंह नेगी ने न केवल इन फलों का उत्पादन किया, बल्कि इन्हें बाजार में उच्च मूल्य पर बेचकर आर्थिक सफलता भी हासिल की। उनके फार्म से उत्पादित आम और अन्य फल स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में उच्च मांग में हैं।

तकनीकी नवाचार और पर्यावरण संरक्षण
इन्द्र सिंह नेगी ने बागवानी में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है, जैसे रूट स्टॉक आधारित रोपण, एकीकृत पोषण प्रबंधन, और जल संरक्षण तकनीकें। उन्होंने अपने फार्म को पर्यावरण के अनुकूल बनाया, जिसमें प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों को अपनाया गया। उनके फार्म में जैव विविधता का संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जो अन्य किसानों के लिए एक मॉडल है।
उत्तराखंड के लिए प्रेरणा
इन्द्र सिंह नेगी की सफलता की कहानी उत्तराखंड के युवाओं और किसानों के लिए एक मिसाल है। उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत, तकनीकी ज्ञान, और नवाचार के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में भी बागवानी को लाभकारी बनाया जा सकता है। उनके फार्म ने न केवल आर्थिक समृद्धि लाई, बल्कि देहरादून को लीची और अन्य फलों के उत्पादन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया।
उनके फार्म की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके द्वारा उगाए गए फल, विशेष रूप से मियानजाकी आम, न केवल स्थानीय बाजारों में बल्कि विदेशों में भी मांग में हैं। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें उत्तराखंड का उन्नत किसान का खिताब दिलाया।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
इन्द्र सिंह नेगी का काम अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनकी सफलता की कहानी सूरज तिवारी जैसे अन्य किसानों से मिलती-जुलती है, जिन्होंने लखनऊ में आम, लीची, और अमरूद की खेती से लाखों का टर्नओवर कमाया। नेगी ने अपने फार्म को एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी विकसित किया है, जहां युवा किसानों को उन्नत बागवानी तकनीकों की जानकारी दी जाती है। उनकी यह पहल उत्तराखंड में बागवानी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
हालांकि इन्द्र सिंह नेगी ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, लेकिन जलवायु परिवर्तन और अवैध खनन जैसी समस्याएं उनके फार्म और क्षेत्र की बागवानी के लिए चुनौती बनी हुई हैं। इसके बावजूद, वे अपने फार्म को और विस्तार देने की योजना बना रहे हैं, जिसमें नई फल प्रजातियों को शामिल करना और जैविक खेती को बढ़ावा देना शामिल है।
इन्द्र सिंह नेगी ने संजीवनी वैली फार्म के माध्यम से यह साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और तकनीकी नवाचार के साथ उत्तराखंड की पहाड़ी भूमि को समृद्धि का केंद्र बनाया जा सकता है। उनकी कहानी न केवल बागवानी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि उत्तराखंड के युवाओं के लिए यह संदेश देती है कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। उनकी यह उपलब्धि निश्चित रूप से अन्य किसानों को प्रेरित करेगी और उत्तराखंड की बागवानी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।