देहरादून,21,10,2025
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक निजी नर्सिंग होम की घोर लापरवाही सामने आई है। 26 वर्षीय महिला ज्योति प्रज्वल की डिलीवरी के दौरान ऑपरेशन में पेट में पट्टी (गॉज) छूट जाने से गंभीर संक्रमण फैल गया, जिससे उनकी दर्दनाक मौत हो गई। मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर शव रखकर जमकर हंगामा किया और डॉक्टरों पर हत्या का आरोप लगाया। स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की है और अस्पताल का रजिस्ट्रेशन जांच पूरी होने तक रद्द कर दिया है।
ज्योति प्रज्वल, पत्नी प्रज्वल, देहरादून के लक्खीबाग इलाके की निवासी थीं। उनके पति सहारनपुर चौक पर पंचर की दुकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। 29 जनवरी 2025 को ज्योति ने आराघर के पास स्थित मदर केयर नर्सिंग होम में सी-सेक्शन ऑपरेशन के जरिए एक बेटे को जन्म दिया। ऑपरेशन सफल रहा और चार दिन बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
डिलीवरी के करीब एक हफ्ते बाद ज्योति को पेट में तेज दर्द शुरू हो गया। परिजनों ने उन्हें दोबारा मदर केयर नर्सिंग होम में दिखाया, जहां कई टेस्ट कराए गए लेकिन डॉक्टर कोई स्पष्ट कारण नहीं बता पाए। दर्द बढ़ता रहा और लगभग 20 दिन पहले (अक्टूबर की शुरुआत में) ज्योति को फिर से मदर केयर में भर्ती किया गया। यहां से उन्हें ग्राफिक एरा अस्पताल रेफर कर दिया गया।
एक अन्य निजी अस्पताल में जांच और ऑपरेशन के दौरान पता चला कि डिलीवरी के समय इस्तेमाल की गई पट्टी का गॉज ज्योति के पेट में ही छूट गया था, जिससे गंभीर संक्रमण फैल गया। शनिवार (19 अक्टूबर 2025) को ऑपरेशन कर गॉज निकाला गया, लेकिन रविवार रात (20 अक्टूबर 2025) को ज्योति की मौत हो गई। ज्योति अपने 8 महीने के बेटे को छोड़कर चली गईं।
मौत की खबर मिलते ही परिजनों में आक्रोश फैल गया। सोमवार सुबह उन्होंने ज्योति का शव मदर केयर नर्सिंग होम के बाहर रखकर जमकर हंगामा किया। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय पर सही जांच और इलाज किया जाता तो ज्योति की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने इसे ‘हत्या’ करार दिया और डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। हंगामे से अस्पताल के बाहर बड़ी भीड़ जुट गई और थाना डालनवाला की पुलिस को मौके पर पहुंचना पड़ा।
परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने शुरुआत में दर्द को नजरअंदाज किया और सही डायग्नोसिस नहीं किया। कई घंटों की वार्ता के बाद स्वास्थ्य विभाग के एसीएमओ डॉ. प्रदीप राणा ने परिजनों को समझाया और शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई की। एसीएमओ डॉ. प्रदीप राणा ने बताया कि नर्सिंग होम का क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन जांच पूरी होने तक रद्द कर दिया गया है। मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है, जिसमें विभागीय अधिकारी और उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल के सदस्य शामिल हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि अगर लापरवाही साबित हुई तो अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना देहरादून में चिकित्सकीय लापरवाही का एक और उदाहरण है, जो निजी अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है। परिजनों ने न्याय की मांग की है और मामले की निष्पक्ष जांच की अपील की है।