ऋषिकेश(आरएनएस)।जगत में जब-जब धर्म की हानि होती है, भगवान मनुष्य के रूप में अवतार लेकर धर्म की रक्षा करते हैं। यह बात मंगलवार को प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने मुनिकीरेती के पूर्णानंद खेल मैदान में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को प्रवचन सुनाते हुए कही। कथा सुनने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। कथावाचक मोरारी बापू ने कहा कि गीता में भगवान के अवतरण लेने का कारण धर्म ग्लानि और धर्म को स्थापित करने के लिए बताया गया है। उसी प्रकार राम चरित मानस में भगवान राम का अवतार धर्म की हानि और सज्जनों, गो, साधु-संत आदि की पीड़ा हरने के लिए बताया गया है। उन्होंने कहा कि राम कथा को सुनने और कहने का सभी को अधिकार है। चाहे शबरी हो, कालनेमी हो, अहिल्या, मंदोदरी, गार्गी हो या तुलसी कालीन पिंगला सबका राम पर समान अधिकार है। विष्णु घराने की सनातनी दृष्टि से ब्रह्म विचार के तीन आयाम हैं पहला केवल ब्रह्म, विचार दूसरा वेद, विभिन्न ग्रंथों के आधार पर और तीसरा एकांत में शांत चित्त होकर उसका पाचन करना। कहा कि वेद प्याऊ के समान हैं। श्रुतियों का सेवन करते हुए एकांत धारण करते हैं शांत चित्त होकर उसे पचा जाओ, यह ध्यान की अवस्था है।
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