संवाददाता, हमारी चौपाल । देहरादून वन प्रभाग के झाझरा रेंज में वन माफियाओं का तांडव, विभाग की नाक के नीचे रोजना झाझरा रेंज से पेड़ों का अवैध पतन हो रहा है। लेकिन वन महकमा मूक दर्शक बना बैठ है। अब हाल ही में झाझरा रेज के कण्डौली- पौंधा से साल के एक हरे-भरे पेड पर आरी चलने की जानकारी मिली है। आपको बता दें झाझरा रेंज में अक्सर पेड़ों का अवैध पातन होता रहता है । इससे पूर्व भी झाझरा रेंज के अटक फॉर्म बीट में एक पीपल का पेड़ काट था, लेकिन आज तक अपराधी वन विभाग की पहुंच से दूर है । ना तो अपराधी मिला और नहीं माल बरामद हुआ । ऐसा ही एक मामला कुछ महीने पहले 10 बेश कीमती खैर के पेड़ों को दिनदहाड़े वन माफिया उड़ा ले गए थे, और विभागीय अधिकारी व कर्मचारी कुंभकरण की नींद सोते रहे । तीसरा मामला कुछ दिनों पहले का ही है । इसी झाझरा रेंज के मंद वाला बीट में तीन साल प्रजाति के पेड़ फिर उड़ा दिए । जब “हमारी चौपाल ” ने इस खबर को प्राथमिकता के साथ प्रकाशित किया तब कही वन कर्मी नींद से जागते हैं, आनन- फानन में अज्ञात में जुर्म काट कर मामले को रफा दफा कर देते हैं । यह जो तीन घटनाएं हुई है, किसी भी घटना में अपराधी को महकमे के द्वारा नहीं पकड़ा गया है । क्या उत्तराखंड की सरकार ने ऐसे ही कर्मचारी पाल रखें है, जो अपराधियों को पकड़ने में निष्क्रिय है । सरकार से मोटा वेतन लेते हैं, मूलभूत सुविधाएं लेते है लेकिन उसके बाद भी अपराधी को पकड़ने में असफल होते नजर आ रहे है । सूत्रों की माने तो झाझरा रेज के अधिकारी व कर्मचारी जंगलों की रक्षा के लिए कम अवैध खनन व पेडो के अवैध पतन में ज्यादा ध्यान रखते हैं । सरकार चाहे तो झाझरा रेंज के कैंची वाला स्वर्ण नदी का तत्काल प्रभाव से निरीक्षण करवा ले । आज भी जाएंगे तो नदी में 15 से 20 फुट के गडढे जो की जेसीबी द्वारा किए जा रहे हैं । पहले कैंची वाला में एक क्रेशर होता था आज 8 क्रेशर चल रहे हैं । प्रदेश के युवा,जोशीले मुख्यमंत्री जी आपसे हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है कि आप इस खबर पर जरूर संज्ञान लेंगे ।
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