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गायब होती गौरैया ने मल्टीनेशनल कंपनी को दिया नया बाजार

हल्द्वानी(आरएनएस)। कभी हमारे जीवन और घर-आंगन का अहम हिस्सा रही गौरैया पिछले कुछ वर्षों से हमारे आसपास से गायब होती जा रही है। देश में भी गौरैया की संख्या लगातार कम हो रही है। गौरैया की गिरती संख्या को देखते हुए इनके संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास भी शुरू हुए हैं। इन प्रयासों के बीच मल्टीनेशल कंपनियों को भी बाजार मिल गया है। कंपनियां ऑनलाइन प्लेटफार्म समेत अन्य माध्यमों से घौंसलों का व्यापार कर रही हैं। करीब 12 से ज्यादा कंपनियां गौरैया के घौंसले बनाकर ऑनलाइन बेच रही हैं। इनकी कीमत करीब दो सौ रुपये से लेकर साढ़े पांच हजार रुपये तक है।
दो साल में घट गई 10 फीसदी गौरैया
स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक देश में गौरैया की संख्या साल- दर- साल घटती दिख रही है। 2020 से 2022 के बीच में गौरैया की संख्या में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों से गौरैया की संख्या में लगातार गिरावट आई है।
सुप्रभात के संदेश में भी शामिल हुई गौरैया
लोग सुबह एक-दूसरे को सुप्रभात के संदेश भेजते हैं। इन संदेशों की अच्छी बात यह है कि इनमें गौरैया भी शामिल हो गई है। लोग गर्मी के इस मौसम में सुप्रभात के संदेश के साथ गौरैया के लिए छत पर पानी व दाना रखने की भी अपील कर रहे हैं। इसमें गौरैया की चहचहाट के लिए छत पर पानी और दाना रखने की अपील की जा रही है।
डब्ल्यूआईआई बना रहा संरक्षण के लिए योजना
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून (डब्ल्यूआईआई) ने गौरैया के संरक्षण को लेकर नई योजना बनाई है। जैव विविधता बोर्ड उत्तराखंड के अध्यक्ष और पक्षी वैज्ञानिक डॉ. धनंजय मोहन ने बताया कि प्रोजक्ट का उद्देश्य गौरैया की राज्य में स्थिति, उसके संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना है।
हमने ही छीन लिया गौरैया का अशियाना
विशेषज्ञों का कहना है कि गौरैया कि खास बात यह है कि वह आबादी के में रहने वाली चिड़िया है। यह अक्सर पुराने घरों के अंदर, रोशनदान, झोपड़ी में घोंसला बनाकर रहती हैं। अनियंत्रित शहरीकरण, भारी मात्रा में कीटनाशकों के इस्तेमाल ने गौरैया ही नहीं सभी पक्षियों के दाना-पानी पर चोट की है।

संस्थागत व व्यक्तिगत स्तर पर गौरैया के संरक्षण के काम बढ़े हैं। लोगों में गौरैया संरक्षण को लेकर पहले के मुकाबले काफी जागरूकता आयी है। इससे गौरैया के संरक्षण को और मजबूती मिलेगी।   -डॉ. धनंजय मोहन, अध्यक्ष, जैव विविधता बोर्ड उत्तराखंड, पक्षी विशेषज्ञ

गौरैया हमारे घर-आंगन की चिड़िया है। इसकी संख्या में गिरावट आयी थी, लेकिन अब इसे लेकर जागरूकता बढ़ी है। लोग घौंसले खरीदकर अपने घरों में लगा रहे हैं। ताकि गौरैया दोबारा से उनके आंगन का हिस्सा बने।    – डॉ. सौम्या प्रसाद, वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ

कंपनी/ऑनलाइन प्लेटफार्म  घौंसले के दाम
जस्ट क्राफ्ट                       -45
अमेजन                           -189
फ्लिपकार्ट                        -500
जियो मार्ट                        -379
मीसो                               -260
आर्गनिक बाजार               -199
जस्ट 4 पैट स्टोर               -300
नेचर इंडिया                     -765
माई बगीचा                      -3550
वाइल्ड लाइफ क्राफ्ट         -205
ईटीएसवाई                       -5465
नेचर इंडिया नर्सरी              -360

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