हरिद्वार,HamariChoupal,22,09,2022
जाको राखे साईयां मार सके ना कोई की कहावत उत्तरी हरिद्वार भूपतवाला में चरितार्थ हुई है। मुखिया गली स्थित शीला अपार्टमेंट में आशा आनन्द (74 वर्ष) विगत एक दशक से फ्लैट में निवास कर रही है। अविवाहित आशा आनन्द अकेले फ्लैट में रहती हैं। विगत दो दिनों से आशा आनन्द न तो फ्लैट से बाहर निकली न ही उन्हें किसी पड़ोसी ने देखा। फ्लैट में अन्दर से कुण्डी बंद होकर लॉक लगा हुआ था। पड़ोस की महिलाओं ने जब दरवाजा खटखटाया तो फ्लैट से कोई हलचल या आवाज नहीं सुनाई दी। अनहोनी की आशंका से ग्रस्त पड़ोस की महिलाओं ने इसकी सूचना क्षेत्रीय पार्षद अनिरूद्ध भाटी व आशा आनन्द के दिल्ली निवासी रिश्तेदारों को मोबाईल से दी। अनहोनी की आशंका के चलते सूचना मिलने पर क्षेत्रीय पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने खड़खड़ी पुलिस चौकी प्रभारी बी.एस. कुमांई को अवगत कराया। चौकी प्रभारी ने स्थिति की गम्भीरता के दृष्टिगत तुरन्त मौके पर फोर्स भेजी। स्थानीय पुलिस व पार्षद अनिरूद्ध भाटी की उपस्थिति में स्थानीय महिलाओं व समाजसेवी दिनेश शर्मा, नीरज शर्मा ने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया। जब दरवाजा नहीं खुला तो अनहोनी की आशंका की दृष्टिगत दरवाजा तोड़ने का निर्णय लिया गया। दरवाजा तोड़कर जब पुलिस व पड़ोसी फ्लैट में दाखिल हुए तो आशा आनन्द की स्थिति देखकर सन्न रह गये। उन्हें विगत दिवस पैरालाइसिस का अटैक पड़ा था। जिस कारण न तो वह बिस्तर से हिल पा रही थी न ही फोन कर या सुन पा रही थी। क्षेत्रीय पार्षद अनिरूद्ध भाटी ने तुरन्त 108 पर फोन कर एम्बुलेंस बुलाकर आशा आनन्द को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया। उसके पश्चात बेहतर सुविधा व ईलाज के लिए उन्हें रामकृष्ण मिशन चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। अगले दिन दोपहर में आशा आनन्द के भाई प्रबोद्ध आनन्द दिल्ली से हरिद्वार पहुंचे। उन्होंने क्षेत्रीय पार्षद अनिरूद्ध भाटी व सभी पड़ोसी महिलाओं व ईलाज में सहयोग करने वाले व्यक्तियों का आभार जताते हुए कहा कि मानवता अभी भी जिंदा है। आप सबके सहयोग से एक वृद्ध महिला की जान बच गयी। सभी का आभार व्यक्त करते हुए वह अपनी बहन आशा आनन्द को अपने साथ बेहतर ईलाज के लिए नोएडा ले गये। आशा आनन्द का दो दिन तक ईलाज कराने में कांता कुशवाहा, माया भाटी, प्रेम रानी, राजेश्वरी तनेजा, रजनी तनेजा, पार्षद विनित जौली, गगन यादव, रूपेश शर्मा, दिनेश शर्मा, गोपी सैनी, नारायण आदि ने रात-दिन अपना सहयोग प्रदान करते हुए घर की बुजुर्ग महिला की तरह उनकी सेवा की। समूचे घटनाक्रम से एक बात तो साबित हो गयी कि मानवता आज भी जिंदा है।