Hamarichoupal,16,05,2022
कहते हैं कि कलम की चोट का असर बहुत गहरा होता है और अगर कलम की चोट किसी भ्रष्ट व्यक्ति के खिलाफ हो तो चोट का असर और भी गहरा हो जाता है, जिससे किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति या अधिकारी के होश उड़ना व मानसिक स्थिति खराब होना लाजमी है । क्योंकि भ्रष्ट व्यक्ति की चमड़ी इतनी मोटी होती है कि उस पर कोई भी हथियार काम नहीं करता, लेकिन वह यह भूल जाता है कि कलम एक ऐसा हथियार है जो मोटी चमड़ी को भी पिघला देता है। उसी तरह का होश आजकल एक अधिकारी का भी उड़ा हुआ है ,जब उनके कारनामे उजागर होने शुरू हुए तो अधिकारी की मानसिक स्थिति भी खराब होनी शुरू हो गई । और अपने कारनामों को छुपाने की नियत से संपादक महोदय पर अनावश्यक दबाव बनाना शुरू कर दिया।
नोटिस
दबाव बनता नहीं देख अधिकारी के होश उड़ गए और वह इतना बोखला गया कि संपादक महोदय को ही दबाव में लेने के लिए नोटिस तक भिजवा दिया। और खुद को ईमानदार कर कर्तव्य निष्ठ और समाज में इज्जत का हवाला देने लगे । अब सवाल उठता है कि यदि यह अधिकारी इतना ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ है ,तो इनके विरुद्ध विभाग में शिकायतें क्यों है ? और आखिर ऐसी क्या वजह रही कि अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की कहानी नोटिस के जरिए संपादक महोदय तक पहुंचाने पड़ी ?। समाज में इनकी इज्जत की बात तो वह स्वयं जाने की ऐसे अधिकारियों की कौन कितनी इज्जत करता है। पिछले दिनों झाजरा रेंजर विनोद चौहान के कारनामों को उजागर करते हुए उनके ही अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा कई शिकायतें की गई थी,साथ ही हमारी चौपाल के संपादक महोदय को भी शिकायतें कर खबर का संज्ञान लेकर प्रकाशित करने को लिखा गया था । जिसकी जानकारी लेकर खबर का प्रकाशन किया गया । खबर का प्रकाशन होते ही रेंजर द्वारा अपने पद व रसूख का इस्तेमाल कर संपादक महोदय को दबाव में लेने का प्रयास किया जाने लगा ,जब संपादक महोदय पर इनका दबाव नहीं चला तो इन महाशय द्वारा अपना बौद्धिक संतुलन खो दिया गया व संपादक महोदय को पुनः दबाव में लेने के मकसद से एक नोटिस भी भिजवा दिया ,शायद इन महोदय को संपादक महोदय भी अपनी जैसी ही प्रवृत्ति के लगे हो। लेकिन यह मात्र उनकी गलतफहमी ही है । इन रेंजर साहब की बौखलाहट साफ इशारा करती है कि इनके भ्रष्टाचार व कारनामों की फेहरिस्त और भी लंबी हो सकती है । जिसकी जानकारी जुटाई जा रही है और जल्द ही प्रकाशित भी अवश्य की जाएगी।
शिकायते होने के बाद अब विभाग व सरकार को भी चाहिए कि इनके प्रत्येक नियुक्त स्थानों के कार्यकाल की भी जानकारी निकाली जाए और यदि यह कहीं भ्रष्ट या इनकी कहीं शिकायत प्राप्त होती है तो कार्यवाही अमल में लाई जा सके। और मौजूदा व पुरानी शिकायतों का संज्ञान लेते हुए कठोर कार्यवाही भी करें। खबर तो यहां तक है कि इन रेंजर साहब के सिर पर बड़े अधिकारियों और रसूख धारी नेताओं का भी हाथ है, जिसके चलते यह मलाई चाट रहे हैं। अब यह तो वही बात हुई “सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का”।