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विरासत : सांस्कृतिक संध्या में आज की शाम रही मशहूर कव्वाल ‘अनवर खान’ के नाम

HamariChoupal,20,10,2024

 

 

 

देहरादून- 20 अक्टूबर 2024- विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2024 हर दिन नए-नए आकर्षक अंदाज में लोगों के सम्मुख अपनी बेहतरीन तस्वीर प्रस्तुत करता हुआ आ रहा है I इसी के अंतर्गत आज विरासत के छठवें दिन की शुरुआत आकर्षक बाइकों की रैली के साथ हुई, जो कि विभिन्न मार्गो से होकर गुजरी I मुख्य आकर्षण यह रहा कि जिधर से यह कतारबध 11 बाइक अपना प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर सरपट गर्जना तथा गुर्राती हुई दौड़ रही थी, वहां-वहां सभी का ध्यान शानदार एवं अद्भुत दिखाई देने वाली बाईकों की तरफ आकर्षित हो रहा था I

 

डॉ भीमराव अंबेडकर स्टेडियम में आयोजित किये जा रहे विरासत महोत्सव आयोजन स्थल के विशाल प्रांगण से यह बाइक रैली पूर्वाहन करीब ग्यारह बजे गगन भेदी गर्जनाओं के साथ प्रारंभ हुई I इस बाइक रैली को विरासत के अपने ध्वज को दिखाकर रीच संस्था की जॉइंट सेक्रेटरी श्रीमती विजयश्री जोशी ने अपने सहयोगियों भारतीय वन अनुसंधान संस्थान के पूर्व मुख्य कंजर्वेटिव श्री जयराज एवं श्री प्रदीप मैथल के ध्वज दिखाकर रवाना किया गया I रैली विभिन्न मार्गो से होकर गढ़ी कैंट, मसूरी डाइवर्जन रोड, दिलाराम चौक, राजपुर रोड स्थित बहल चौक से होते हुए पुनः अपने गंतव्य स्थान की ओर लौटते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर स्टेडियम पहुंची I अलग-अलग अंदाज एवं आकर्षण का केंद्र बनी यह 11 बाइकर्स सभी मौजूद लोगों के लिए कोतूहल का विषय बनी हुई थी I इन बाइकों में 250 की इंजन की क्षमता वाली पावर सीसी से लेकर 1800 सीसी की पावर रखने वाली शामिल थीं I

 

आयोजित इस बाइक रैली में प्रतिभाग करने वाले बाइकर्स में देहरादून के ही रहने वाले वासु खन्ना की 18 सीसी पावर वाली बाइक आकर्षण एवं कौतूहल का केंद्र बनी हुई थी वासु खन्ना के साथ उनके भाई हेमंत खन्ना ने भी रैली में प्रतिभाग किया I इसके अलावा रैली में नीति राज रावत, पश्चिम बंगाल के निवासी प्रियांशु झा, स्थानीय माजरी माफी देहरादून निवासी वर्धन घिड़ियाल, स्थानीय बल्लीवाला निवासी धनंजय, सरदार मनमीत सिंह, सॉफ्टवेयर इंजीनियर सिद्धार्थ कीर्ति गौतम,अश्मित विजय डिमरी, सुशांत तथा मयंक ने पूरे जोश के साथ भाग लिया I

आज की सांस्कृतिक क़व्वाली संध्या का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया के अध्यक्ष व विरासत के संरक्षक राजा रणधीर सिंह तथा यूपीईएस के वॉइस चांसलर श्री राम शर्मा ने किया I राजा रणधीर सिंह ने आज के सांस्कृतिक कलाकारों विदुषी काला रामनाथ को सम्मानित भी कियाI

 

वायलिन की दुनिया के सरताज विदुषी काला रामनाथ की सांस्कृतिक संध्या ने बिखेरा जादू

 

वायलिन पर लोकप्रिय कलाकार ‘विदुषी’ ने कर दिखाया धमाल

 

विरासत की संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार एवं आकर्षक प्रस्तुतियों ने आज रविवार को धमाल कर दिखाया I संध्या काल की शुरुआत विश्व विख्यात वायलिन के माने जाने वाले सरताज विदुषी काला रामनाथ के आकर्षण वायलिन से हुई I उनके वायलिन का जादू पूरे पंडाल में मौजूद श्रोताओं एवं दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा था और निरंतर लोकप्रियता को दावत दे रहा था I उनका प्रदर्शन उत्तम राग शुद्ध कल्याण से शुरू हुआ जिसमें वे राग और लय पर अपनी महारत दिखाते हैं अद्भुत प्रस्तुति दी। उनके साथ तबले पर प्रतिष्ठित पंडित मिथिलेश झा ने संगत दी

 

 

विदुषी काला रामनाथ अपनी ‘सिंगिंग वायलिन’ के साथ दुनिया की सबसे बेहतरीन व प्रेरणादायक वाद्य वादकों में से एक हैं। उनके वादन को ग्रैमी-नामांकित माइल्स फ्रॉम इंडिया परियोजना में दिखाया गया है I उनकी रचनाएं ग्रैमी विजेता एल्बम इन 27 पीसेज़ और क्रोनोस चौकड़ी के 50 फॉर द फ्यूचर में दिखाई दी हैं। यूके स्थित सॉन्गलाइन्स पत्रिका ने वायलिन संगीतकार श्री रामनाथ को दुनिया के 50 सर्वश्रेष्ठ वाद्य वादकों में से एक बताया और एल्बम काला को अपनी 50 सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्डिंग में से एक चुना। वह वायलिन बाइबिल, द स्ट्रैड में शामिल होने वाली पहली भारतीय वायलिन वादक थीं Iऑस्कर नामांकित ब्लड डायमंड कृष्णन और डॉ.एन.राजम के मार्गदर्शन में कला की वायलिन वादन की दृष्टि बहुत कम उम्र में ही प्रकट होने लगी थी। उनकी जन्मजात प्रतिभा को पहचानते हुए, उनके चतुर दादा, विद्वान ए. नारायण अय्यर ने उन्हें अपने संरक्षण में ले लिया। खास बात यह है कि वे महान गायिका पंडित जसराज की एक प्रमुख शिष्या भी बनीं। इस मार्गदर्शन के दौरान कला ने अन्य भारतीय या गैर-भारतीय वायलिन वादकों से बिल्कुल अलग आवाज़ तैयार करना शुरू किया और यूउनकी आवाज़ को ‘सिंगिंग वायलिन’ कहा जाने लगा। एक अद्भुत प्रतिभा के रूप में पहचाने जाने वाले इस वायलिन संगीतकार ने भारत के सबसे प्रतिष्ठित विश्व मंचों और संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया है। यही नहीं,उनको भारत के रेडियो और टेलीविजन द्वारा ‘ए टॉप’ ग्रेड दिया गया है और यह सम्मान पाने वाली वह सबसे कम उम्र की कलाकारों में से एक हैं। उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं,जिनमें से ‘राष्ट्रीय कुमार गंधर्व सम्मान’, ‘पंडित जसराज गौरव पुरस्कार’ और ‘सुर रत्न’ उल्लेखनीय रहे हैं। लेकिन हाल ही में और सबसे खास बात यह है कि उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। विश्व संगीत जगत में एक स्थापित यह नाम आज अपने फाउंडेशन ‘कलाश्री’ के रूप में संगीत के माध्यम से वंचित बच्चों के जीवन को समृद्ध बनाने के लिए उत्सुक हैं।

 

 

 

सांस्कृतिक संध्या में आज की शाम रही मशहूर कव्वाल ‘अनवर खान’ के नाम

 

धमाकेदार कव्वाली ने जीत लिया सभी का दिल

 

देश विदेश में ख्याति प्राप्त कर चुके लोकप्रिय कव्वाल मोहम्मद अनवर खान के साथ संगीतकारों की एक असाधारण टीम रही, जिसमें हारमोनियम और कोरस वोकल्स पर ताहिर हलीम, ऑक्टोपैड पर हैप्पी,तबले पर अज़हर हलीम,कोरस गायक के रूप में अबरार अहमद और तरसेम खान,कीबोर्ड पर बिल्लू ने अपनी शानदार संगत देकर लोगों का दिल बाग-बाग कर दिया I

 

विरासत महोत्सव में आज की संध्या के दौरान मशहूर कव्वाल अनवर खान द्वारा प्रस्तुत की गई कव्वालियों ने वास्तव में सभी दर्शकों व श्रोताओं का दिल जीत लिया I अनवर के कंठ से कव्वाली के बोल सुर और ताल के साथ निकल रहे थे, वैसे-वैसे वातावरण में रौनक व उत्साह उत्पन्न हो रहा था I जाने माने मशहूर कव्वाल अनवर खान को सुनने के लिए पंडाल में श्रोतागण काफी देर तक जमे रहे I

मोहम्मद अनवर खान रहमत कव्वाल की कव्वालियों ने विरासत में धूम मचा कर रख दी I उनके कव्वाली के पहले ही बोल….. मैंने मासूम बहारों में तुम्हें देखा है….. मैंने दूर सितारों में तुम्हें देखा है…. धूम मचा दी I देखते ही देखते पूरा पंडाल कव्वाल रहमत की कव्वालियां सुनने के लिए खचाखच भर गया I

कव्वाल की दुनिया में वे अपने नाम के आगे ‘रहमत’ तकिया कलाम के रूप में लगाते चले आ रहे हैं I इसी से उनकी लोकप्रिय दिन-दूनी, रात-चौगुनी बढ़ी है I मौहम्मद अनवर खान ‘रहमत’ कव्वाल पंजाब और सिंध के सरहदी घराने के प्रसिद्ध कव्वाल मियां रहमत खान के पोते हैं। सरहंदी सूफी परंपराओं में निहित होने के लिए जाना जाता है और सूफी और कव्वाली गायकों के कई समर्थक हैं। उन्होंने पांच साल की छोटी उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था और अपने दादा रहमत खान साहब के कुशल मार्गदर्शन में लगातार सीखते और प्रदर्शन करते रहे हैं।उनकी ग़ज़ल और सूफी कलाम की प्रस्तुति हर जगह जानी जाती है। उन्होंने भारत के साथ-साथ हांगकांग और दुबई और अन्य दक्षिण-पूर्वी और यूरोपीय देशों के अलावा भी अन्य कई मुल्को में बड़े पैमाने पर कव्वाली का प्रदर्शन किया है। वे पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं।

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