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ब्रेकिंग न्यूज़ : कांग्रेस नेता सिद्धू को एक साल की सजा

नई दिल्ली,RNS,19,05,2022

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है। 34 साल पुराने रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश सुनाया।

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है। 34 साल पुराने रोडरेज केस में सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश सुनाया। उन्हें एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने अपने 15 मई, 2018 के एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा को बदल दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने ये फैसला एक तरफ सिद्धू पटियाला में महंगाई के खिलाफ हाथी पर चढ़कर प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई। इसी साल 25 मार्च सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। सभी पक्षों की दलीलें सुनने को बाद फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट करना था कि
सिद्धू की सजा बढ़ाई जाए या नहीं। पीड़ित पि की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया था। इसस
सुप्रीम कोर्ट ने साधारण चोट की बजाए गंभीर अपराध की सजा देने की याचिका पर सिद्धू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पीड़ित परिवार ने याचिका दाखिल कर रोड रेज केस में साधारण चोट नहीं, बल्कि गंभीर अपराध के तहत सजा बढ़ाने की मांग की। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने साधारण चोट का मामला बताते हुए सिर्फ ये तय करने का फैसला किया था कि क्या सिद्धू को जेल की सजा सुनाई जाए या नहीं ।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान विशेष पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल के सामने पीड़ित परिवार यानी याचिकाकर्ता की ओर से सिद्धार्थ लूथरा ने कई पुराने मामलों में आए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सड़क पर हुई हत्या और उसकी वजह पर कोई विवाद नहीं है। पुनर्विचार याचिका में कहा गया था कि सिद्धू की सजा कम नहीं की जानी चाहिए। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या में तीन साल कैद की सजा सुनाई थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने गैर इरादन हत्या में बरी कर दिया था, लेकिन चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।

दिसंबर 1988 की है घटना
27 दिसंबर 1988 को यह विवाद पटियाला में हुआ था। जब सिद्धू ने बीच पर जिप्सी पार्क की हुई थी। जब पीड़ित और दो अन्य बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे सड़क पर जिप्सी देखकर सिद्धू को उसे हटाने को कहा। यही बहसबाजी शुरू हो गई। पुलिस का आरोप था कि इस दौरान सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की और मौके से फरार हो गए। पीड़ित को अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया।

तीन तीन साल की हुई थी सजा
सितंबर 1999 में निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने दिसंबर 2006 में सिद्धू औ अन्य पर गैर इरादतन हत्या मामले में दोषी करार देते हुए 3-3 साल कैद की सजा सनाई थी. जिसे दोनों ने सप्रीम कोर्ट में चनौती दी थी.

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