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विश्व पर्यावरण दिवस पर हिंदी साहित्य समिति ने किया मासिक काव्य सम्मेलन का आयोजन।

देहरादून। हिन्दी साहित्य समिति द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर हिन्दी भवन में मासिक काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष डॉ रामविनय सिंह ने की। इस अवसर पर हिन्दी साहित्य समिति के सभी सदस्यों का महामंत्री हेमवती नंदन कुकरेती ने सभी उपस्थित कवियों का स्वागत अभिनन्दन किया। कार्यक्रम का संचालन कवि शिवमोहन सिंह ने किया। रविवार को कवि सम्मेलन में सम्भल,चन्दौसी से ओज के कवि डॉ सौरभ कान्त शर्मा और बागपत से कवि डॉ अरविन्द कुमार तिवारी ने भी संस्कृत और हिन्दी में काव्य पाठ किया जिसे श्रोताओं द्वारा सराहना मिली।

कवि सम्मेलन की शुरुआत डॉ नीता कुकरेती द्वारा सरस्वती वन्दना से हुई। उसके बाद उन्होंने गढवाली और हिन्दी में काव्य पाठ किया। गढवाली में—-

क्वांसी पराणी आंखी डबलाणी जिकुड़ी झुरेणी झूर झूर डांडी कांठी की खुद म खुद्यूं छौं
ह्वे ग्येन मी से दूर दूर। इसके बाद डॉ नीता कुकरेती ने 5 जून को पर्यावरण पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में भू देवी की वन्दना इन पंक्तियों के माध्यम से की—
हे श्यामला नमन, हे प्रतिफला नमन। जीवन प्रदायनी हो तुम, हे वत्सला नमन । तुम ही क्षुधा मिटाती सभी की, हे वसुंधरा नमन, स्वयं प्रभा नमन।

हे अन्न धन दात्री समुज्ज्वला नमन।
इस अवसर पर डॉ रामविनय सिंह ने इस प्रकार काव्य पाठ किया। बिम्ब प्रतीक और उपमानों के घर आग लगी है। मूक हुई कविता रो रो कर रूखे आंगन में।
सम्भल चन्दौसी से आये कवि सौरभ कान्त शर्मा ने राष्ट्र के प्रति अपनी भावनाओं को इस प्रकार ब्यक्त किया। है राष्ट्र बड़ा सारे ही धर्मो को छोड़ कर,

आओ करें प्रणाम सभी हाथ जोड़कर, इतना तो मान रखना, मेरे प्रभु मेरा, अन्तिम सफर पर निकलूं तिरंगे को ओढकर। इसके बाद बागपत से पधारे कवि डॉ अरविन्द कुमार तिवारी ने संस्कृत और हिन्दी में काव्य पाठ किया। संगीता शाह ने कहा–

कितना ऊंचा उठ गया है आदमी
कितना नीचे गिर गया है आदमी।
सत्य प्रकाश शर्मा ने इस प्रकार काव्य पाठ किया—
प्रेम पथिक होने को हे प्रिय
कंटक कानन आना होगा,
राधा सा चित्र बनाने को प्रिय
तुम्हें निधिबन में आना होगा।
इस अवसर पर हिन्दी साहित्य समिति के महामंत्री और अध्यक्ष डॉ रामविनय सिंह ने कहा कि आज का कवि सम्मेलन पर्यावरण दिवस को समर्पित है। हिन्दी साहित्य समिति निरन्तर हिन्दी साहित्य के साथ ही, संस्कृत, उर्दू और गढवाली भाषा के साहित्यकारों को भी प्रोत्साहित करती रहती है। कवि सम्मेलन पर्यावरण दिवस को समर्पित रहा। हमारे बीच उत्तर प्रदेश के दो यशस्वी कवि भी आये हैं। कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करने वाले कवि शामिल रहे। डॉ राकेश बलूनी, राधा कृष्ण पन्त, सुभाष सैनी, संगीता शाह, डाॅ नीता कुकरेती, सत्य प्रकाश शर्मा, सौरभ कान्त शर्मा, नीलम प्रभा वर्मा, राधा मैन्दोली, ओज कवि जसबीर सिंह हलधर, डाॅ प्रमोद भारतीय, शिव मोहन सिंह, संजय प्रधान, सुबोध सिन्हा, शान्ति प्रकाश जिज्ञासु, महेश्वरी कनेरी, कीर्ति अहलवात, नितिन अहलवात, कृष्ण दत्त शर्मा, सत्येन्द्र शर्मा, पवन कुमार सूरज,बेली राम कंसवाल, नरेन्द्र शर्मा, पुष्प लता ममगांई, आदि अनेक गणमान्य साहित्यकार और हिन्दी साहित्य समिति के सदस्य उपस्थित रहे।

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