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उत्तराखंड : इन बच्‍चों की जान को है खतरा…..

HamariChoupal,11,05,2023

विजय जोशी

 

यदि आपका बच्‍चा या फिर आपके आसपास का कोई  बच्‍चा आंगनवाड़ी में जाता है तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। जी हां यह हम नहीं कह रहे हैं  बल्कि सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने वाले भ्रष्‍ट तंत्र की वजह से ये हो रहा है। आंगनवाडी में जाने वाले बच्‍चों को अंडे के नाम पर जहर दिया जा रहा है पिछले दिनों आंगनबाड़ी के केन्‍द्रों में भेजे गये अंडे या तो सड़े गले थे या फिर इनमें चींटियां लगी हुयी थी। कुमायूं के नैनीताल में इस तरह का मामला सामने आने के बाद भी सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

ऊत्तराखण्ड में नैनीताल व आसपास के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार के नाम पर दिए जाने वाले अण्डे सड़े और कीड़े लगे हुए मिले हैं। नैनीताल के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के 70 केंद्रों के लिए आए अण्डों को खिलाने से आंगनवाड़ी बहिनों ने इन्हें नन्हें बच्चों और गर्भवती महिलाओं को देने से इनकार कर दिया है।

नैनीताल में मल्लीताल के प्राइमरी स्कूल स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में बाल विकास परियोजना के अंतर्गत बंटने के लिए आज सरकार की तरफ से पौष्टिक आहार के रूप में अण्डे और खजूर पहुंचे थे। केंद्र की कार्यकत्री बहनों ने जब अण्डों को विभिन्न केंद्रों में बांटने के लिए क्रेट खोली तो अंडों में से कीड़े और अण्डे सड़े निकले। बहिनों ने सारे केंद्रों के अण्डों को बरिखी से देखा तो लगभग सभी क्रेटों में कुछ न कुछ गड़बड़ियां निकली। बहिनों ने इसकी शिकायत ऊपरी अधिकारियों से की तो उन्होंने इनसे कहा की इसमें से एक एक कर सही वाले अण्डों को छांटकर इस्तेमाल कर लो। बहिनों ने नाराजगी जताते हुए मीडिया से कहा कि बहुत बुरी तरह से सड़े अंडों से बच्चे और गर्भवती महिलाएं बीमार हो सकती हैं, साथ ही आजकल गर्मियों के दौरान अण्डे देने ही नहीं चाहिए। आंगनवाड़ी के लिए वर्षभर में कभी दलिया, मूंग की दाल, खजूर, गेहूं चावल अण्डे आदि दिए जाते हैं। उन्होंने अण्डों में कीड़े और चींटियों की शिकायत करते हुए कहा कि पहले चंद अण्डे खराब आते थे लेकिन इस बार तो पूरी क्रेट ही खराब आई है। उन्होंने बताया कि आज सवेरे आंगनबाड़ी केंद्र से आए फोन पर कहा गया कि आज केंद्र से ही अण्डे उठाए जाएं। उन्होंने केंद्र में पहुंचकर जब देखा तो सारे अण्डे ही खराब दिखे। नैनीताल के एस.डी.एम.राहुल साह का कहना है कि इस पूरे प्रकरण में जांच की जाएगी और बाल विकास परियोजना अधिकारी से रिपोर्ट ली जा रही है।
हालांकि इस मामले को दो माह से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाही नही की जासकी है।

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