लखनऊ,26.07.2021,Hamari Choupal
अनूप शुक्ला ब्यूरो चीफ {लखनऊ}
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आज यहां कारगिल शहीद स्मृति वाटिका के कार्यक्रम में कारगिल युद्ध के शहीदों के परिवारीजनों को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कारगिल शहीद स्मृति वाटिका में स्थापित कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों की प्रतिमाओं पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कारगिल शहीदों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत माता के महान सपूतों और वीर जवानों की सतर्कता, सजगता, मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण और अद्भुत बलिदान के कारण ही हम सब न केवल स्वाधीनता का अनुभव करते हैं, बल्कि एक सुरक्षित माहौल में चैन से अपना गुजर-बसर करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि शहीद की मौत ही कौम की जिन्दगी होती है। एक जवान जब शहीद होता है, तो वह कौम को नई जिन्दगी देता है, नई प्रेरणा प्रदान करता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि मई, 1999 में पड़ोसी राष्ट्र के द्वारा एक षड़यंत्र के तहत कारगिल युद्ध देश पर थोपा गया था। कारगिल की चोटियों पर एक साजिश के तहत दुश्मन देश ने कब्जा कर भारतीय सेना को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। विपरित परिस्थितियों के बावजूद मात्र दो से ढाई माह में भारत के बहादुर जवानों ने दुश्मन को वहां से भाग खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया। तब से 26 जुलाई की तिथि को पूरा देश कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है। अमर शहीदों के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने, उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पूरे देश में बड़े गौरव और सम्मान के साथ यह आयोजन सम्पन्न होता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए गौरव और गरिमा का अवसर है। आज से 22 वर्ष पूर्व 1999 में दुश्मन देश को बुरी तरह परास्त करते हुए कारगिल पर विजय प्राप्त करके दुनिया के सामने भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का लोहा एक बार फिर से मनवाया था। उन्होंने शहीद सैनिकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए शहीदों के परिवारीजन को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार सदैव उनके साथ खड़ी रहेगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के बहादुर जवानों की सजगता का ही यह परिणाम है कि आज विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत पूरी मजबूती के साथ अपनी सीमाओं की सुरक्षा करने और बड़े से बड़े षड़यंत्र को विफल करने में सक्षम है। भारत के बहादुर जवानों के पुरुषार्थ के परिणामस्वरूप 136 करोड़ की आबादी स्वयं को सुरक्षित महसूस करती है। वीर जवानों के प्रति सम्मान का भाव रखने के साथ-साथ समाज का उनके परिजनों के प्रति सम्बल बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे हतोत्साहित न हांे। हमें यह विस्मृत नहीं करना चाहिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी उपासना विधियां अलग-अलग हो सकती हैं, खान-पान अलग-अलग हो सकता है। रहन-सहन अलग-अलग हो सकता है, बोली-भाषा अलग-अलग हो सकती है, लेकिन हमारा धर्म एक है और वह धर्म है राष्ट्र धर्म। राष्ट्र धर्म के लिए प्रत्येक भारतीय को प्राणपण से जुट करके अपनी सेना, अर्द्धसैनिक बलों और सुरक्षा से जुड़े सभी जवानों के मनोबल को सदैव बनाए रखने का पूरा प्रयास करना चाहिए। अपने पूरे सामथ्र्य से उन्हें सहयोग करना चाहिए। इसीलिए प्रदेश में सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास निदेशालय राज्य के अन्दर सैनिकों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य करता है। अवकाश प्राप्त सैनिकों एवं शहीद सैनिकों के परिवारों से संवाद बनाकर उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए निरन्तर प्रयास करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 04 वर्ष में राज्य सरकार ने कुछ निर्णय लिए हैं। युवा पीढ़ी के अच्छे प्रशिक्षण की व्यवस्था के साथ-साथ सेना में हमारे युवाओं को अवसर मिल सके, इसके लिए राज्य सरकार ने सैनिक स्कूल की स्थापना की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया है। केन्द्र सरकार के नए बजट में देश में 100 नए सैनिक स्कूल की स्थापना प्रस्तावित किये जाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में मण्डल मुख्यालय स्तर पर नए सैनिक स्कूल को खोलने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रशिक्षण, अनुशासन तथा राष्ट्र के प्रति समर्पण की अद्भुत मिसाल सैनिक स्कूल के माध्यम से प्रस्तुत की जा सकती है।मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश में सैनिक स्कूलों का शुभारम्भ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से हुआ था। कैप्टन मनोज पाण्डेय, लखनऊ सैनिक स्कूल की ही देन थे, जिन्हें कारगिल युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने के लिए भारत के सर्वोच्च रक्षा सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया था। इसलिए हमारी सरकार ने कैप्टन मनोज पाण्डेय के नाम पर लखनऊ सैनिक स्कूल का नामकरण भी किया। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 04 सैनिक स्कूल संचालित हैं। 5वें सैनिक स्कूल का शिलान्यास जनपद गोरखपुर में हाल ही में सम्पन्न हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना, अर्द्धसैनिक बलों तथा पुलिस के प्रदेश के बहादुर जवानों की शहादत पर राज्य सरकार शहीद के परिवार को अपनी ओर से 50 लाख रुपये की सहायता प्रदान करती है। साथ ही, परिवार के एक सदस्य का शासकीय सेवा में समायोजन, शहीद के नाम पर उनके जनपद में एक भवन या मार्ग के नामकरण के साथ-साथ उनका स्मारक बनाने की कार्यवाही भी प्रारम्भ की गई है। सैनिकों, पूर्व सैनिकों, सेना/अर्द्धसैन्य बलों में कार्यरत जवानों को सम्बल देने के लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयास कर रही है।इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने लखनऊ के शहीद सैनिकों के परिवारीजनों का सम्मान किया। उन्होंने परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय, मेजर रितेश शर्मा, राइफलमैन सुनील जंग के परिवारीजनों को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के रणबांकुरों के साहस, शौर्य, पराक्रम और उनकी शौर्य गाथाओं पर केन्द्रित पुस्तक ‘वीरता और सम्मान’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास निदेशालय की तरफ से मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने तथा सीमा की रक्षा करते हुए प्राणों का बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि आज विशेष रूप से कारगिल विजय दिवस मनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि देश को सुरक्षित रखने में हमारे वीर सैनिकों ने जो बलिदान एवं कुर्बानियां दी हैं, उसे याद कर उनसे प्रेरणा लें। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के समय एक अस्पताल में उन्हें घायल सैनिकों से मिलने का अवसर मिला। यह सैनिक घायलावस्था में भी मुस्कुराते हुए मिले। इन सैनिकों की तमन्ना थी कि अगर दोबारा मौका मिला तो वे देश की रक्षा के लिए पुनः तैयार रहेंगे। उन्होंने कहा कि सेना के जवानों के इस जज्बे, साहस तथा देश-प्रेम की भावना को देखकर बहुत बड़ी सीख मिलती है कि हमें दूसरों की जिन्दगी को आसान बनाने, गरीबों की सेवा करने, साथियों का सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन, जल शक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह, विधायक सुरेश तिवारी, लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, प्रमुख सुचिव समाज कल्याण के0 रविन्द्र नायक, मण्डलायुक्त लखनऊ रंजन कुमार, सूचना निदेशक शिशिर, सैनिक कल्याण निदेशक ब्रिगेडियर रवि, जिलाधिकारी लखनऊ अभिषेक प्रकाश, शहीद परिवारों के सदस्य, सैनिकगण सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।